रिवीव :आरिफ़ा मसूद अंबर
लेखक : जगन्नाथ आज़ाद
जगन्नाथ आज़ाद का जन्म 5 दिसंबर 1918 है जिला मियां वाला जो देश के विभाजन के बाद पाकिस्तान का हिस्सा बना तिलोक चंद महरूम के घर हुआ मेहरूम उर्दू के मशहूर शायर थे उर्दू साहित्य से प्रेम और लगन जगन्नाथ आज़ाद ने अपने पिता से विरासत में पाई थी ।मेहरूम ने दीवाने ग़ालिब द्वारा आजाद में उर्दू साहित्य से रुचि पैदा की पिता के नेतृत्व और मार्गदर्शन ने आज़ाद के मन में ऐसी रुचि पैदा की प्रसिद्ध कवियों और लेखकों के काम से वह बचपन में ही परिचित हो गए थे ।उनमें नज़ीर अकबराबादी ,मोहम्मद हुसैन ,आजाद खास तौर पर शामिल हैं ।आजाद ने सार्वजनिक मान्यता का पहला अवसर 12 साल की उम्र में पाया जब उन्होंने इतिहास की परीक्षा के जवाब में हाफ़िज़ साहब की” हिंदुस्तान हमारा” के छंदों द्वारा दिए । अपने जीवन काल में आज़ाद साहब ने उर्दू साहित्य और अल्लामा इक़बाल पर बहुत काम किया। उनके इस योगदान के लिए बहुत से पुरुस्कारों से सम्मानित किया गया उन्हें ना केवल भारत बल्कि पाकिस्तान सरकार ने भी सम्मानित किया गया उन्हें न केवल भारत और पाकिस्तान की सरकारों ने सम्मानित किया बल्कि दूर देशों उर्दू सोसाइटी ऑफ कनाडा ,यूनिवर्सिटी ऑफ पीकिंग चीन वगैराह देशों से भी बहुत सम्मान उपाधियां और पुरस्कार मिले, पाकिस्तान सरकार ने उन्हें सरदारबी गोल्ड मेडल से सम्मानित किया ।भारत सरकार ने उन्हें भारत सोवियत सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने के कारण की गई सेवाओं के लिए सम्मानित किया 1993 में यूं ए ई आबूधाबी में जशने आजाद समारोह का आयोजन किया और हल्का़ ए फ़न ओ अदब नें 1998 में उर्दू में 1997 में उन्हें नाम से मान्यता दी आज़ाद किताब “गीतों की फुलवारी” में बच्चों के लिए 16 कविताओं का संग्रह प्रस्तुत किया गया है ,हर कविता को रोचक बनाने के लिए सुंदर चित्र प्रस्तुत किए गए हैं ताकि बच्चों में रुचि बनी रहे।