ऐ देश तेरे नाम यह पैगाम लिख दिया
हमने अपना सब कुछ तेरे नाम लिख दिया
तेरे हिमालय से बड़ा है यह अपना दिल……………..
हर लम्हा जिंदगी का तेरे नाम लिख दिया
चंपई छब तिरंगे में मंजर वह शाम–का……………….
सबजे में अमन व आतशी का जाम रख दिया
वह सादगी का पेकरे पैगाम बन……………….. गया
जब बीच में सफेद तिरंगे के रख………………दिया
कुदरत ने भी तुझे है क्या नक्शा अता किया
तेरे हसीन साहिल को लहरों का खम………….. दिया
परिंदो को रंग-बिरंगे लिबासो से जड़ दिया
नदियों को धारा कानों को सोने से भर दिया
चारो तरफ बहारे कलियों का………………………बांकबन
इन खुशनुमा सी चीजों को मंजर नया दिया
बादे सबा के लम्स से बहकी हुई फिज़ा
बहती रंवा सी चांदनी में नूर भर दिया।
वुस्अत मे तेरे बिखरे है, सुरज, सितारे, चांद
बहरे करा से मोज में आमान भर कर दिया
इश्को जुनू में सरहद को असनाम कर दिया
बाजी लगी तो जान को कुरबान कर दिया
वह गुल की बात सपने सितारों के खास रंग
रंगे बहार से ही तेरा नमा लिख ……………….. दिया
भारत कहुं तुझे या हिंद, हिंदुस्ता………………….. कहुं।
धरती में तेरी प्यार का फरमान रख दिया
मर कर भी तेरी मिट्टी में मिलते रहे हैं हम
कुछ खास है जो अज्म और इकराम लिख दिया
सबीना तुम्हारे देश की रुत बन गई नई
नानक , कबीर खुसरू को जब साथ रख दिया।
* वेस्ट पटेल नगर, नई दिल्ली