शिक्षकों का समाज में सम्मान किया जाता है। एक सभ्य समाज में गुरु को बहुत महत्व दिया जाता है लेकिन बिहार के नियोजित शिक्षकों को जो बेतन मिलता है उसे किसी भी तरह सम्मानजनक नही कहा जा सकता है इसीलिए बिस्फ़ी विधानसभा छेत्र के उम्मीदवार डा फैययाज अहमद ने नियोजित शिक्षकों की दूरदशा को देखते हुए कहा कि सरकारी स्कूलों में वर्तमान में दो प्रकार के शिक्षक हैं, एक हैं बंधुआ मज़दूरी वाले शिक्षक दुसरे हें फुल स्केल वाले शिक्षक जबकि काम दोनों के लिए समान है। हमारी सरकार बनी तो नियोजित शिक्षकों को मिलेगा समान काम का समान बेतन। यह वादा हमारे नेता श्री तजिसवी यादव और महागठबंधन के लगभग सभी नेताओं ने किया है। बस्फ़ी विधानसभा क्षेत्र से महा गठबंधन के उम्मीदवार डॉ। फैयाज अहमद ने कठैला चौक पर पार्टी कार्यालय के उद्घाटन के अवसर पर कुछ ऐसे विचार व्यक्त किए जिस से समझ में आता है कि वह शिक्षकों के संबंध में संजीदा हैं। उन्होंने कहा कि यह बहुत दिनों से नियोजित शिक्षकों की मांग थी और इसके लिए उन्होंने पटना में धरना प्रदर्शन भी किया था, लेकिन बदले में उन्हें लाठीचार्ज मिला, जो एक घटिया बात थी, याद रखें कि पहली बार संविदा शिक्षकों को राजद नेता और बिहार के भावी मुख्यमंत्री, तेजस्वी यादव ने अपने चुनावी विषयों का हिस्सा बनाया है। तब से, डॉ. फै़याज़ अहमद भी अपने निर्वाचन क्षेत्रों में इसे चर्चा का विषय बना रहे हैं। इससे पहले, नियोजित शिक्षक कभी भी किसी भी चुनाव में निर्वाचन का विषय नहीं थे, और समाज का यह शिक्षित वर्ग हमेशा चुनाव का विषय होने से वंचित रह जाता था। हाईकोर्ट में केस जीतने के बाद भी सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई और आखिरकार सैलरी के संबंध में शिक्षक परिवार को परीशानी का सामना ही करना पड़ा। लगता है कि अब शिक्षकों अच्छे दिन आने वाले हें।