हिंदी अनुवाद : शहला प्रवीण
सभी मां बाप अपने बच्चों को अधिक से अधिक बुद्धिमान देखने की इच्छा रखते हैं, ताकि बच्चे शिक्षा के माध्यम में अच्छा प्रदर्शन कर सकें। इस उद्देश्य में मां बाप विशेष तौर से अपने बच्चों को तैयार किया करते हैं, देखने में आता है कि बहुत से बच्चे कम आयु में एकांत लापरवाही जैसी आदतों के साथ बातचीत में बहुत कमजोर होते हैं, जिसके कारण से वह शिक्षा और शिक्षा के अलावा दुसरे माध्यम में इच्छा अनुसार कामयाबी प्राप्त नहीं कर पाते हैं और यहीं से उनके जीवन में संघर्ष की अत्यंत आवश्यकता हो जाती है, जिसे दूर करना हर मां बाप या देखरेख करने वालों की प्रथम आवश्यकता है कि वह अपने बच्चों के संघर्ष में बराबर शामिल रहे बच्चों की मामूली या खराब काम से बिलकुल भी मायूस नहीं हो।
ज़रा नम हो तो यह मिट्टी बहुत ज़रखेज़ ( उपजाऊ) है।
अगर बच्चों के शारीरिक और मानसिक बिमारियों को दूर कर दिया जाए तो यही बच्चें भविष्य के विद्वान और अन्वेषक बन के उभरेंगे। अगर हम अपने चारों ओर के लोगों की जांच पड़ताल करें तो पता चलेगा कि हर कोई चाहता है कि मेरा बच्चा बुद्धिमान बने….. लेकिन कैसे….. क्या यह सम्भव है, क्या आश्चर्य जनक यह करिश्मा हो सकता है? जी हां इंशा अल्लाह ताला, बिलकुल हो सकता है, अगर आप अल्लाह की ज़ात पर विश्वास रखते हैं, और पूरी लगन से अपने बच्चों के मानसिक संतुष्टि के कारण हर तरह से त्याग करने को तैयार हैं तो बाज़न अल्लाह(با ذ ن اللہ) यह लगन बिलकुल रंग लाएगी, और अल्लाह हमारी कोशिशों को बेकार नहीं जाने देगा, क्योंकि यह असम्भव में से तो नहीं है। अल्लाह ने इस संसार में दुख के साथ निश्चित रूप से सूख को भी रखा है। इसलिए बच्चों के मानसिक बुद्धी को बढ़ाने के लिए आइए कुछ बातें समझने की कोशिश करते हैं।
अनुभव के आधार पर हमें अपने बच्चों के मानसिक योग्यता बढ़ाने के लिए वही काम करने होंगे जो योग्य लोगों के मां बाप और अभिभावकों ने किया है। योग्यता को प्राप्त करने की सच्ची लगन, कठिनाई को अपनी मेहनत से हासिल करने का अटल इरादा अगर आपके पास है तो अवश्य आप सफल होंगे।
सकारात्मक सुझाव (Positive suggestion)
बच्चों के साथ हमेशा अपना व्यवहार सकारात्मक रखें या रखने का प्रयास करें कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी अपने बच्चों को नकारात्मक परिस्थिति की ओर न धकेले।
क्योंकि उम्मीद और भरोसे के साथ किसी भी काम को किया जाए तो अवश्य उसके अन्तर्गत फल देखने को मिलता है, इसी प्रकार की एक कथन सुनिए;….
एक दिन एक बच्चा स्कूल से घर वापस जा रहा था बच्चे के हाथ में उसके शिक्षक का दिया हुआ पत्र था। बच्चे ने बिना पढ़े उसे मां को दे दिया_ मां ने शिक्षक के पत्र को पढ़ी और शांत हो गई, बच्चे के प्रश्न वाली नज़रें उस समय मां पर ही थी पत्र के समाप्त होने पर बच्चे ने जल्दी से प्रश्न किया “मम्मा टीचर ने क्या लिखा है” मां मुस्कुराई और बच्चे से बोली प्यारे बेटे!!!! आपके टीचर ने लिखा है…. आदरणीय मां बाप ….. आज से हम आपके बच्चे को नहीं पढ़ा सकते आपके बच्चे की बुद्धि देखते हुए हमने यह निर्णय लिया है कि आज से इस की शिक्षा आप स्वयं घर पर करवाए हमारे शिक्षक इस अधिक बुद्धिमान बच्चे को पढ़ाने में असमर्थ हैं।
बच्चे की मां स्वयं बच्चे के शिक्षा की देखभाल घर पर ही करने लगी। यही बच्चा जब बड़ा हुआ तो थामस एडिसन एक शोध कर्ता और एक वैज्ञानिक हुए।
एक दिन थामस एडिसन अपने घर की पुरानी चीजें साफ कर रहे थे उस समय उन्हें अपनी मां की अलमारी से बहुत पुराना काग़ज़ का टुकड़ा मिला। थामस ने उस कागज को खोला और घंटों बैठे रोते रहे। क्या लिखा हुआ था उस कागज के टुकड़े में जिसे पढ़कर वह घंटों रोऐ?
असल में यह वही पत्र था जो बचपन में स्कूल टीचर उनकी मां को दिया था।
आदरणीय मां बाप,
आपका यह बच्चा बिलकुल ही मंद बुद्धि है, पढ़ाई-लिखाई में भी मंद बुद्धि है हम इसे नहीं पढ़ा सकते इसलिए कल से बच्चे को स्कुल भेजने की आवश्यकता नहीं है, आप स्वयं इसे घर पर पढ़ाऐं।
सोचने वाली बात है अगर थामस की मां थामस पर क्रोधित होती और उन्हें सही बता देंती तो क्या संसार को इतना बड़ा वैज्ञानिक मिल पाता।
फिर थामस पर उसका क्या प्रभाव पड़ता क्या वह इस तरह की हीन भावना सहन कर पाते जो उस समय बहुत दुखदाई था।
एक मां की ममता और समझदार मां के सकारात्मक व्यवहार ने किस तरह से एक मंद बुद्धि वाले बच्चे के गुणों को आश्चर्य जनक ढंग से निकाला, हमेशा बच्चों के साथ सकारात्मक व्यवहार रखें।
2. Focus of strength, कमजोरियों के बजाय खुबियों पर ध्यान दें।
कमी और खुबी हम सभी में कम या ज्यादा है, प्रकृति ने हर एक को एक दूसरे से अलग गुणों वाला बनाया है हर एक के पास कोई न कोई प्रकृतिक गुण आवश्यक है सिर्फ समय होने पर इस गुणो का प्रयोग और पहचान जो अधिक तर लोग नहीं करते और हाथ पर हाथ रख कर किसी चमत्कार का प्रतीक्षा करते, इंसान वही सफल है जो अपनी कमियों को सही करने से अधिक अपने गुणों को सही करने में लगे। टीलों और चट्टानों से गुज़रे बिना सफलता दिखाई तक नहीं देता उसको पाना तो दूर की बात है।
यहां मां बाप इस बात को स्वंय समझ लें जिसके कारण बच्चा मार या डॉंट खाता है या जो वस्तु बच्चे के मस्तिष्क को उसके केंद्र से हटाने वाली है उसे देखें।
हम अपने चारों ओर व्यवसायिक होते वातावरण को ध्यान से देखें तो हमें हमारे बच्चों के आधा से अधिक कारण स्वंय समझ आ जाएंगे अंत्यतह आज बच्चों को अपने चारों ओर से अनेक प्रकार के फसाद का सामना करना पड़ रहा है, जिनका हमारे जीवन में कोई जगह ही नहीं था, न तो डिश एंटीना के हजारों, लाखों टी वी चैनल थे न ही प्रत्येक दिन नए फीचर्स के साथ बाजारों में उतरते हुए स्मार्ट फ़ोनो का सैलाब और न ही इंटरनेट का फैला हुआ जाल था। हमारा जीवन इस सब चीजों से खाली था इसलिए हमारे समय में हमारी समस्या आज के बच्चों से कम थी आज सारे संसार को सिमट कर ग्लोबल विलेज बन जाना काग़ज़ कलम के स्थान पर आई पैड और ई रीडर का काम लेना ये सारा बदलाव ऐसा है कि अच्छे अच्छों की दुनिया बदल दी, सभी शोध कर्ता के मस्तिष्क को हिला कर रख दिया है तो फिर बच्चे कैसे नहीं प्रभावित हो और वैसे भी यह तय किया हुआ सत्य है कि हमारे समाज को हर बदलाव का पहला प्रभाव उसकी नई आने वाली पीढ़ी पर होती है। अच्छे या बुरे जैसे भी बदलाव हो बच्चों में तेजी से पनपता है बच्चों के शिक्षा विकास के लिए हमें भी यह बात समझनी चाहिए कि हम अपने बचपन में ऐसी मुसीबत से बचे हुए थे लेकिन आज के बच्चों के सामने यही कसौटी बन के खड़ी है, बच्चों को अपने समय का गुहार देने से कुछ प्राप्त नहीं होगा। करने के काम यह है कि बच्चों को as, it, is…. इन सारे कसौटियों का सामना करना सीखाया जाए उनकी कमियों को चिन्हित कर के बात बात में टोकना और मार पीट करना अत्यंत बुरा व्यवहार है। अगर आप भी इस प्रकार के दौड़ से बीत रहे हैं तो बात माने की यह व्यवहार आपको और आपके बच्चे को दुःख देगा और इससे कुछ प्राप्त भी नहीं होगा। बच्चों को प्रत्येक समय मारने पर आप एकांत में बैठकर रोते हैं और बच्चा भी मानसिक और शारीरिक रूप से बुरी तरह प्रभावित होता है। बुराइयों को अनदेखा कीजिए निश्चित रूप से यह व्यवहार धीरे धीरे बच्चे को आत्म निर्भर, दृढ़ और पारिश्रमिक बना देगी जिन विषयों से बच्चों को खौफ होती है वही विषय आप के देख रेख से बच्चे के लिए आसान हो जाएगी, आवश्यकता इस बात की है कि बच्चों के कमियों का रोना रोने के बजाय बच्चों के अच्छाईयों को देखे और उसकी अच्छाईयां इस तरह बच्चों के व्यक्तित्व पर छा जाए की कमियों का कोई लेखा ही न हो। और बच्चे अपने लक्ष्य तक सरलता से पहुंच जाएगा।
सिंगापुर में परीक्षा से पहले एक स्कूल की प्रिंसिपल ने छात्रों के मां बाप को पत्र भेजा जिसका विषय कुछ इस प्रकार था;
आदरणीय मां बाप!
आपके बच्चे का परीक्षा जल्दी ही आरंभ होने वाला है, मैं जानता हूं कि आप सभी लोग इस बात को लेकर काफी उत्साहित होंगे कि आपका बच्चा परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करे और अच्छा परिणाम लाए। परंतु याद रहे कि यह बच्चें जो परीक्षा देने वाले हैं उन में भविष्य के कलाकार भी बैठे हुए हैं। जिन्हें गणित समझने की आवश्यकता नहीं है, इनमें बड़ी बड़ी कंपनियों के प्रवक्ता भी होंगे जिन्हें अंग्रेजी साहित्य और इतिहास समझने की आवश्यकता नहीं है, इन बच्चों में योद्धा भी हो सकते हैं जिन्हें भौतिक विज्ञान रसायन के अंकों से अधिक उनके स्वास्थ्य अधिक जरूरी है। अतः अगर आपका बच्चा अधिक अंक ला सके तो ख़ुदा रा उसके अहम और गौरव उस बच्चे से न छीन लीजिएगा, अगर वह अच्छे अंक न ला सकें तो आप उसे साहस दीजिएगा की कोई बात नहीं यह एक छोटा परीक्षा ही था वह जीवन में इससे भी कुछ बड़ा करने के लिए बनाए गए हैं। अगर वह कम अंक लाते हैं तो उन्हें बता दें कि आप फिर भी उनसे प्रेम करते हैं और आप उनके कम अंको के कारण दंड नहीं दे रहे हैं। ख़ुदा रा ऐसा ही कीजिएगा और जब आप ऐसा करेंगे तो फिर देखिएगा कि आप का बच्चा संसार भी विजय कर लेगा….. एक परीक्षा और कम अंक आपके बच्चे से उसके सपने नहीं छीन सकता और कृप्या ऐसा मत सोचिए कि इस संसार में डाक्टर और इंजीनियर ही प्रसन्न होते हैं।
आपका वफादार (प्रिंसिपल)
3) Moral stories नैतिक कहानियां सुनाना बच्चों की बुद्धि बढ़ाने में यह सौ प्रतिशत सबसे लाभदायक, मज़ेदार और रोचक तरीका है। इसके लिए हमें बच्चों को सहमत नहीं करना होता क्योंकि स्वंय ही बच्चे हर समय एक नई कहानी सुनने के इच्छुक होते हैं, जी हां!!! यह अलग बात है कि हमने उन्हें कहानियां सुनानी छोड़ दी है। इसलिए कहा जाता है कि अगर किसी के दिल में अपनी बात का चित्र बिठाना है तो अपनी बात को कहानी की शक्ल दे दीजिए। इस अनुक्रमिकता में सबसे बड़ा उदाहरण क़ुरान करीम और उसके उच्च पद्धति की है। अल्लाह रब्बुल इज्ज़त ने इंसानों को सीखाने के लिए पवित्र किताब में यह उपाय प्रयोग किया है।
لَقَدۡ کَانَ فِیۡ قَصَصِہِمۡ عِبۡرَۃٌ لِّاُولِی الۡاَلۡبَابِ.
(युसूफ १११) इन, (अंबिया, उम्म , साबकिन) के किस्से में समझदार लोगों के लिए इबारत है, यह तरीका कार अनुचित होता है।
कुरान व सुन्नत के रोशनी में उन महान व्यक्तियों की जीवनी इस प्रकार से कहना चाहिए कि अंदाज अर्थ व परिभाषा संपूर्ण स्वास्थ्य तात्पर्य के साथ कहना चाहिए कि ताकि महान व्यक्तियों की जीवनी के अच्छाई और बुराई की बातों से संसार में मौजूद लोग शिक्षा (चेतावनी) ले सकें। महान व्यक्तियों की जीवनी और उनके परिणाम लोगों के हृदय में उपदेश बन के बैठ जाएंगे और लोग अपने रब की ओर ध्यान देंगे और जीवन को जीने के लिए सही तरीके अपनाएंगे और संसार व परलोक दोनों में सफलता प्राप्त करें। अल्लाह फरमाता है….
(فا قصص القصص لعلهم يتفكر ون…. الا عراف:176)
उनकी कहानियां सुनाओ ताकि वह गहन विचार करें।
यह बात सत्य है कि अल्लाह और रसूल के तरीके से बढ़कर कोई और तरीका लाभदायक नहीं इसलिए बचपन में सुनाई गई कथाएं अर्थ पूर्ण कहानियां सारी आयु के लिए भूल नहीं सकता है। बच्चों के कच्चे मस्तिष्क में यह कहानियां गहरे प्रभाव रखतें हैं। बचपन में बच्चे की कल्पना शक्ति अधिक बलवती होती है। इसलिए इस शक्ति का सही उपयोग करना चाहिए। मेरा अपना स्वंय का अवलोकन है कि बचपन में पिता से सूने किस्से अलअबिया खुलफा के वाक्यात आज भी वैसे ही हैं।
कहानियां इंसानों को एक व्यक्तित्व देती है और इसलामी इतिहास तो इंसान के व्यक्तित्व को बनाने का एक उच्च और अर्थ पूर्ण तरीका है। अगर हम चाहते हैं कि अपने बच्चों को पूर्वजों की जीवनी सूनाए तो फिर से हमारे मध्य पूर्वजों जैसी महान व्यक्ति
का जन्म हो जाएगा। अगर यह उपाय प्रयोग में लाया जाए तो इंशा अल्लाह बहुत लाभ होगा।
एक बात समझ लेनी चाहिए कहानियां और किस्से जहां व्यक्तित्व को बनाने में मदद करता है तो वहीं इंसानी मस्तिष्क को ख़राब करने में भी खूब काम करता है। इसलिए कहानियों किस्सों का चयन सावधानी से करना चाहिए। बच्चों को सदैव बढ़िया अच्छी उत्तेजित और सही मार्ग दिखाने वाला कहानियां सुनाएं नहीं तो फिर वही होगा जो अशिक्षित और मूर्ख लोगों से होता आया है जिन, भूत, प्रेत, आत्माओं की दियोमालाई कहानियां बच्चों का हृदय व मस्तिष्क प्रभावित करता है। ऐसी कहानियों से छोटे बच्चे बहुत प्रभावित होते हैं , और आगे चलकर कई मानसिक कारणों से जूझना पड़ता है। कभी कभी तो बच्चें multiple disorder personality जैसे मानसिक बिमारियों का भी शिकार हो जाते हैं। परंतु छोटे बच्चे झूठे चरित्र को असल जीवन में उतारने लगते हैं। इसलिए ध्यान देने वाली बात यह है कि बच्चों के लिए सदैव किस्से और कहानियों का चयन सावधानी से करें, और मां बाप अपना व्यवहार संवय अच्छा और सही रखें।
4) Pray for them
बच्चों के लिए प्रार्थना करना।
प्रार्थना मुस्लिमों का हथियार और जीवन व्यतीत करने का सहारा है, मुश्किल समय में भी बंदा अल्लाह से उम्मीद लगाए रहे और उम्मीद की डोर को टूटने न दें, अल्लाह की ज़ात अकेली ऐसी ज़ात है जिसके लिए कोई काम मुश्किल और नामूमकिन नहीं तो फिर अगर हम अपनी संतान के अच्छे के लिए अल्लाह रब्बुल इज्ज़त से प्रार्थना करें तो इंशा अल्लाह ताला बिलकुल प्रार्थना फल लाएंगी और बच्चौं के कारकरदगी में बढ़ोतरी होगी,
और खासकर मां बाप की दुआएं उनके बच्चों के लिए अल्लाह बहुत कबूल करते हैं।
इमाम बुखारी के मां का वह प्रसिद्ध वाक्या हमारे लिए असल उदाहरण है। जब इमाम बुखारी रहमतुल्लाह अलैहि की आंख की ज्योति चले जाने पर उनकी मां ने इतने दर्द के साथ अल्लाह से दुआ मांगी की आंखौं की ज्योति लौटा दिया ,जिसका फल अल्लाह ने दिया,
अतः यह पता चलता है कि शिक्षा के माध्यम में बंदे को अपनी मेहनत के साथ साथ दुआओं पर भी विश्वास रखना चाहिए, अल्लाह हमारे मामलात को संवारे और हमें हमारी संतान को शिक्षित करें और हमारी कमियों को दूर करे और अच्छाइयों में बढ़ोतरी करें (आमीन)।