नई दिल्ली:सरकार में ट्विटर के रुख को लेकर नाराजगी बढ़ रही है। सरकार इस बात को लेकर सख्त खफा है कि हाल में किसान आंदोलन से जुड़े जिन आपत्तिजनक ट्विट को हटाने के लिए कहा गया, उसका ट्विटर ने आंशिक रुप से ही पालन किया। सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि आईटी ऐक्ट के प्रावधानों के तहत आपत्तिजनक सामग्री को हटाना ट्विटर की जिम्मेदारी है। क्योंकि भारत के कानूनों का पालन करना उसकी जिम्मेदारी है। इसलिए मामले की अनदेखी नहीं की जा सकती है।
सरकार का कहना है कि ट्विटर पर पहले किसानों के नरसंहार से संबंधित सामग्री जारी करने वाले एकाउंट को ब्लॉक किया गया लेकिन बाद में खोल दिया। इसी प्रकार खालिस्तान के समर्थन वाले 1178 ट्विट के मामले में भी ट्विटर ने आंशिक कारवाई की है। हालांकि इस मामले में सरकार का अगला कदम क्या होगा यह स्पष्ट नहीं है। लेकिन माना जा रहा है कि सख्त पत्र या नोटिस जारी किया जा सकता है। इस बीच सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने देशी प्लेटफार्म कू को प्रोत्साहित करना शुरू किया है। मंत्रालय ने की पोस्ट उस पर साझा की है।
ट्विटर के अधिकारियों के साथ बैठक
इस बीच सरकार ने ट्विटर के अधिकारियों के साथ ऑनलाइन बैठक की। आईटी मंत्रालय के सचिव ने ट्विटर के ग्लोबल पब्लिक पॉलिसी के उपाध्यक्ष जिम बेकर से साफ शब्दों में कहा कि आप चाहे जो नियम और शर्तें अपने व्यापार के लिए लागू करें लेकिन आपको भारत में भारत के संविधान और कानून के मुताबिक चलना होगा। सरकार की ओर से ट्विटर को कहा गया है अभिव्यक्ति की आजादी और आलोचना का अधिकार का हम सम्मान करते हैं, लेकिन हिंसा भड़काने के लिए नरसंहार जैसे शब्दों के इस्तेमाल की आजादी नहीं दी जा सकती। अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर सरकार के खिलाफ नरसंहार करने के शब्दों और हेशटैग के दुरुपयोग की इजाजत नहीं दी जा सकती है।
ट्विटर ने 500 से ज्यादा अकाउंट पर रोक लगाई
ट्विटर ने बुधवार को कहा कि किसानों के प्रदर्शन को लेकर भ्रामक और भड़काऊ विषयवस्तु का प्रसार रोकने के सरकार के निर्देश के तहत उसने 500 से ज्यादा अकाउंट पर रोक लगा दी है और कुछ को ब्लॉक कर दिया है। ट्विटर ने एक ब्लॉगपोस्ट में कहा कि भारत सरकार द्वारा देश में कुछ अकाउंट को बंद करने के निर्देश के तहत उसने कुछ अकाउंट पर रोक लगाई है। नागरिक समाज के कार्यकर्ताओं, राजनीतिज्ञों एवं मीडिया के ट्विटर हैंडल को ब्लॉक नहीं किया है। क्योंकि ऐसा करने से अभिव्यक्ति की आजादी के मूल अधिकार का उल्लंघन होगा। हालांकि, सरकार ने मुद्दे पर सूचना प्रौद्योगिकी सचिव के साथ वार्ता के पहले ब्लॉगपोस्ट प्रकाशित करने के ट्विटर के कदम को असामान्य कदम बताया।
सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने देश में विकसित सोशल नेटवर्किंग साइट ‘कू’ पर अपने जवाब में कहा, सरकार के साथ बैठक के लिए ट्विटर के अनुरोध पर सूचना और प्रोद्यौगिकी, सचिव ट्विटर के वरिष्ठ प्रबंधकों के साथ बातचीत करने वाले थे। इस आलोक में वार्ता के पहले ब्लॉगपोस्ट प्रकाशित करना असामान्य कदम है। ‘कू’ पर पोस्ट में कहा गया है कि सरकार जल्द ही अपना जवाब साझा करेगी। ट्विटर को टक्कर देने के लिए ‘कू’ की शुरुआत की गई है।
ट्विटर ने बुधवार को ब्लॉगपोस्ट में कहा कि वह अपने उपयोगकर्ताओं की अभिव्यक्ति की आजादी अधिकार का समर्थन करना जारी रखेगी और इसके लिए वह भारतीय कानून के तहत ट्विटर एवं प्रभावित खातों, दोनों के लिए विकल्प तलाश करने की सक्रियता से कोशिश कर रही है। सरकार ने चार फरवरी को ट्विटर से ऐसे 1178 अकाउंट पर रोक लगाने को कहा जिनका जुड़ाव पाकिस्तानी और खालिस्तानी समर्थकों के साथ पाया गया है और जिनसे किसानों के प्रदर्शन के संबंध में भ्रामक और भड़काऊ सामग्री साझा की गई। कुल मिलाकर ट्विटर ने 1,000 से ज्यादा अकाउंट पर कार्रवाई की है। इनमें से 500 पर सरकार ने रोक लगाने की मांग की थी। कंपनी ने बाकी 500 पर भ्रामक विषयवस्तु प्रसारित करने वाला अकाउंट मानकर कार्रवाई की है।
सरकार ने पिछले महीने किसानों के आंदोलन के संबंध में ट्वीट को लेकर 257 अकाउंट पर रोक लगाने के लिए कहा था। इस पर कदम उठाते हुए ट्विटर ने कुछ घंटे के लिए रोक लगाकर फिर से इसे बहाल कर दिया था। इसके बाद सरकार ने आदेश का पालन नहीं होने का नोटिस जारी किया और कानूनी कार्रवाई करने की भी चेतावनी दी है। इस बारे में रुख स्पष्ट करने की मांग पर ट्विटर ने ब्लॉगपोस्ट में कहा कि नुकसानदेह सामग्री वाले हैशटैग की दृश्यता घटाने के लिए उसने कदम उठाए हैं, जिनमें ऐसे हैशटैग को ट्रेंड करने से रोकना एवं सर्च के दौरान इन्हें देखने की अनुशंसा नहीं करना शामिल है। ट्विटर ने इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को भी इन उपायों को लागू करने की जानकारी दे दी है।