मधेपुरा:बिहार विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण की वोटिंग शनिवार को होनी है। इस चरण में 78 सीटों पर कांटे की टक्कर होनी तय मानी जा रही है। सीएम नीतीश कुमार का आखिरी चुनाव दांव के बाद जमीनी समीकरण में विशेषज्ञ बदलाव की बात भी कर रहे हैं। खास बात ये है कि इन सभी 78 सीटों पर मुस्लिम, यादव और ब्राह्मण वोटर उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में बंद करेंगे।
अररिया, किशनगंज, पूर्णिया और कटिहार जैसे इलाकों में मुस्लिमों की बड़ी तादाद है और यहां असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM पार्टी मुकाबले को रोचक बना रही है। इन चार जिलों में कुल 24 विधानसभा सीटें हैं। हालांकि विशेषज्ञ और वरिष्ठ पत्रकार ललितेश मिश्र कहते हैं कि अगर वोटों का ध्रुवीकरण हुआ तो फिर बीजेपी यहां कुछ करिश्मा कर सकती है। उनका अनुमान है कि यहां आरजेडी और कांग्रेस को एनडीए पर थोड़ी बढ़त है। इस चुनाव में आरजेडी का कोर वाटर यादव और मुसलमान अभीतक उसके साथ दिख रहा है। देखना दिलचस्प होगा कि ओवैसी की पार्टी यहां कितना वोट हासिल करती है और महागठबंधन को इससे कितना नुकसान होगा। एलजेपी ने बीजेपी, जेडीयू और महागठबंधन के बागी उम्मीदवारों को उतार यहां दोनों गठबंधनों को टेंशन दे दी है।
कोसी नदी का प्रकोप झेलने वाले सहरसा, सुपौल और मधेपुरा में यादवों मतदाता जीत-हार का फैसला करते हैं। यादव आरजेडी के साथ दिख रहे हैं लेकिन सुपौल में राज्य सरकार में मंत्री विजेंद्र यादव के कारण जेडीयू यहां काफी मजबूत दिख रहा है। रही बात बीजेपी की तो यहां पार्टी अभीतक कुछ खास करिश्मा नहीं कर पाई है। इन तीन जिलों की 13 सीटों पर जनअधिकार पार्टी के चीफ पप्पू यादव के आने से मुकाबला रोचक हो गया है। पप्पू यादव का कोसी क्षेत्र में प्रभाव माना जाता है। 2015 के चुनाव में आरजेडी ने यहां 4 सीटें जीती थीं जबकि जेडीयू को 8 और बीजेपी को महज 1 सीट पर जीत मिली थी।
तीसरे और अंतिम चरण में मिथिला के सीतामढ़ी, मधुबनी, दरभंगा में भी वोटिंग होनी है। यहां ब्रह्माण मतदाताओं की तादाद अच्छी खासी है और इसे एनडीए समर्थक माना जाता है। ऐसे में इन इलाकों में महागठबंधन को तगड़ी टक्कर मिलने वाली है। मिथिला में यादव मतदाता की भी बड़ी तादाद हैं। यहां आरजेडी और जेडीयू में सीधा मुकाबला है।
तीसरे दौर की वोटिंग में कई सीटों पर अति पिछड़े मतदाताओं की बड़ी तादाद है और सीएम नीतीश कुमार ने प्रचार के दौरान उन्हें लुभाने के लिए कई दांव चले थे। पिछले चुनाव में अति पिछड़ों ने जेडीयू का पूरा साथ दिया था। इसके अलावा विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के कारण एनडीए को मल्लाहों का भी पूरा समर्थन इन इलाकों में मिलता दिख रहा है। राजनीतिक विश्लेषक और पत्रकार ललितेश मिश्र बताते हैं कि यहां मुकाबला काफी दिलचस्प होगा। इन इलाकों में नीतीश की पार्टी कुछ बड़ा खेल कर सकती है।
(इनपुट navbharattimes.indiatimes.com)