नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) विरोधी प्रदर्शन के संबंध में कथित नफरती भाषण के लिए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद प्रवेश वर्मा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के संबंध में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की नेता वृंदा करात और के एम तिवारी की याचिका सोमवार को खारिज कर दी। याचिकाकर्ताओं ने मामला दर्ज करने के लिए निर्देश देने से इनकार के निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी।
यह आदेश न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह ने सुनाया जिन्होंने 25 मार्च को फैसला सुरक्षित रख लिया था। निचली अदालत ने 26 अगस्त, 2021 को याचिकाकर्ताओं की प्राथमिकी दर्ज करने की याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि यह टिकाऊ नहीं है क्योंकि सक्षम प्राधिकार, केंद्र सरकार से अपेक्षित मंजूरी नहीं मिली। याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय के समक्ष दावा किया कि वर्तमान मामले में दोनों नेताओं के खिलाफ एक संज्ञेय अपराध बनता है।
उन्होंने मांग की थी कि उनके खिलाफ शाहीन बाग में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध के संबंध में उनके कथित घृणास्पद भाषणों के लिए प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए और वे केवल पुलिस से मामले की जांच करने को कह रहे हैं। याचिकाकर्ताओं ने निचली अदालत के समक्ष अपनी शिकायत में दावा किया था कि ‘ठाकुर और वर्मा ने लोगों को भड़काने की कोशिश की थी जिसके परिणामस्वरूप दिल्ली में दो अलग-अलग विरोध स्थलों पर गोलीबारी की तीन घटनाएं हुईं।’
उन्होंने उल्लेख किया था कि रिठाला की रैली में ठाकुर ने 27 जनवरी, 2020 को भीड़ को उकसाने के लिए एक भड़काऊ नारा लगाया था। उन्होंने आगे दावा किया था कि वर्मा ने 28 जनवरी, 2020 को शाहीन बाग में सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कथित रूप से भड़काऊ टिप्पणी की थी।