हिंदी अनुवाद : आरिफ़ा मसूद अंबर
पुराने जमाने में महिलाएं घर से बाहर जाते समय चादर ओढ़ा करती थीं। फिर बुर्क़ा चलन में आ गया, यह चलन कब से हुआ और किसने किया यह मेरा विषय नहीं है, इसलिए आगे चलते हैं। प्रारंभ में बुर्के शटल कॉक जैसे हुआ करते थे उन्हें संभालने वाली महिलाएं अब इस दुनिया से चली गईं। अब बुर्के सीधे पैरों तक कमीज़ की तरह होते हैं ।अधिकतर जिनका रंग काला होता है, इसके अलावा बुर्के में और बहुत से सुंदर सुंदर रंग हो सकते हैं जिनका प्रयोग किया जा सकता है, परंतु काला रंग गर्मी की तीव्रता को कम करने में सहायक होता है इसलिए कुछ लोगों का ख्याल है कि बुर्के का रंग काला ही होना चाहिए ,वरना काहे का पर्दा। लेकिन हम इससे भी सहमत नहीं हैं। ऐसा कोई धार्मिक कानून नहीं है। “स्त्री की उपस्थिति ही संसार रूपी तस्वीर में रंग भरती है” हमारा विषय यह भी नहीं है इसलिए चलो आगे बढ़ते हैं। बुर्के़ के बहुत से प्रयोग हैं फिल्मों में इसे घर से भागने के लिए प्रयोग किया जाता है। नकली और असली ग्रामों में प्रतिबंधित स्थानों पर घूमने के लिए भी प्रयोग किया जाता है। यद्यपि कॉलेज और यूनिवर्सिटीज़ में बुर्के़ कई प्रकार से प्रयोग किए जाते हैं। कुछ लड़कियां बुर्के को पर्दे के लिए प्रयोग करती हैं ,कुछ अपने कपड़ों के सीमित ब्रांड की वजह से प्रयोग करती हैं। कुछ इतनी सुस्त होती हैं कि सुबह 8:00 बजे की क्लास से 5 मिनट पहले उठकर मुंह धो कर शटल कॉक चढ़ा लेती हैं। और कुछ इस दिन पहनती हैं जिस दिन लाइट चली जाए और कपड़ो पर स्त्री ना हो। बुर्के को आप जिस तरह चाहे प्रयोग करें यह आपकी मर्जी़ लेकिन चर्चा का विषय यह भी नहीं है۔
उपरोक्त सभी विषय एकमत नहीं हैं मैं सिर्फ एक विषय पर बात करना चाहती हूं जिससे सभी सहमत होंगे। वह यह बुर्के को चाहे किसी भी तरह प्रयोग करो परंतु 8, 8 दिन गंदे मैले कुचैले गंदे बदबूदार बुर्के मत इस्तेमाल करो। पैरों से नीचे तक घिसटते बुर्के दूर दूर तक फैले घेरदार कपड़े से जमीन का कूड़ा करकट समेटते महीना महीना धोये बग़ैर परफ्यूम के छिड़काव से ना खुद महके ना अपने ईर्द गिर्द को महका कर इनका सांस लेना मुश्किल करें । और जो मर्जी करें लेकिन कम से कम बुर्के के साथ यह अन्याय ना करें, बुर्के को बख्श दे, बुर्के को बख्श दें।