भाजपा शासित असम और यूपी में जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून लाने की कवायद चल रही है। यूपी में तो योगी सरकार ने रविवार को इसका मसौदा भी पेश कर दिया। इस बीच एनडीए में शामिल जदयू का रुख कुछ और ही है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को योगी सरकार का जनसंख्या पर कानून बनाने का आइडिया पसंद नहीं आया है। उनका कहना है कि कानून बनाने से जनसख्या नियंत्रित नहीं हो सकती है। जनसंख्या नियंत्रण के लिए लोगों को जागरूक करने जरूरी है। उन्होंने जनसंख्या नियंत्रण के लिए शिक्षा पर जोर देने की बात कही है।
नीतीश ने बिना किसी का नाम लिये कहा कि कुछ लोग सोचते हैं कि कानून बना देंगे तो जनसंख्या कम हो जाएगा तो ऐसा नहीं हो सकता है। उन्होंने कई उदाहरणों के साथ बताया कि महिला पढ़ी लिखी होगी तो अपने आप जनसख्या नियंत्रित हो जाएगी। उन्होंने कहा कि यह सोच सोच का फर्क है। हम लोगों की सोच है कि पढाई से ही इसे नियंत्रित कर सकते हैं। कहा हमारी सोच सभी कम्युनिटी पर काम करेगी।
नीतीश ने कहा कि जो राज्य जो करना चाहें करें परन्तु हमारी राय यह है कि सिर्फ क़ानून बनाने से जनसंख्या नियंत्रित हो जाएगी। नीतीश ने कहा कि जब महिलाएं पूरी तरह पढ़ी लिखी होंगी तो प्रजनन दर कम होगी। हमें लगता है 2040 तक जनसंख्या बढ़ोतरी कम हो जाएगी और फिर ये कम होना शुरू होगी।
नीतीश ने कहा कि चीन का पता कर लीजिये। एक से दो किया, अब दो के बाद क्या होगा। आप किसी भी देश का पता कर लीजिये। महिलाएं जब पढ़ी लिखी होंगी, जागरूक होंगी तो खुद प्रजनन दर कम हो जाएगी। नीतीश ने कहा कि तमाम सर्वे और रिसर्च देखिये। जब पत्नी मैट्रिक पास है तो प्रजनन दर देश भर में दो था। बिहार में भी यही था। पत्नी अगर इंटर तक पढ़ी है तो रिसर्च में प्रजनन दर देश में 1.7 और बिहार में 1.6 आया। नीतीश ने कहा कि पहले प्रजनन दर 4 थी फिर तीन हुई। अनुमान है कि 2040 तक यह गति नहीं रहेगी। यह कम होगी। उसके बाद इसका घटना भी शुरू होगा।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर योगी सरकार ने फॉर्मूला तैयार कर लिया है। इसके तहत जिनके पास दो से अधिक बच्चे होंगे, वे न तो सरकारी नौकरी के लिए योग्य होंगे और न ही कभी चुनाव लड़ पाएंगे। उत्तर प्रदेश के राज्य विधि आयोग ने सिफारिश की है कि एक बच्चे की नीति अपनाने वाले माता पिता को कई तरह की सुविधाएं दी जाएं, वहीं दो से अधिक बच्चों के माता-पिता को सरकारी नौकरियों से वंचित रखा जाए। इतना ही नहीं, उन्हें स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने से रोकने समेत कई तरह के प्रतिबंध लगाने की सिफारिश इस प्रस्ताव में की गई है।
दरअसल, उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग ने जनसंख्या नियंत्रण कानून के तैयार मसौदे में इस तरह के कई प्रस्ताव रखे हैं। आयोग ने इस मसौदे पर लोगों ने आपत्तियां व सुझाव भी मांगे हैं, जो 19 जुलाई तक आयोग को ई-मेल ([email protected]) या फिर डाक के जरिए भेजे जा सकते हैं। अगर योगी सरकार इस फॉर्मूले को हरी झंडी दे देती है तो फिर यूपी में जनसंख्या नियंत्रण की दिशा में बड़ा कदम माना जाएगा।
राज्य विधि आयोग अध्यक्ष न्यायमूर्ति एएन मित्तल के मार्ग-दर्शन में यह मसौदा तैयार किया गया है। आपत्तियों एवं सुझावों का अध्ययन करने के बाद संशोधित मसौदा तैयार करके राज्य सरकार को सौंपा जाएगा। देश के अन्य राज्यों में लागू कानूनों का अध्ययन करने के बाद यह मसौदा तैयार किया गया है। इसे उत्तर प्रदेश जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरीकरण एवं कल्याण) एक्ट 2021 के नाम से जाना जाएगा और यह 21 वर्ष से अधिक उम्र के युवकों और 18 वर्ष से अधिक उम्र की युवतियों पर लागू होगा। यह मसौदा आयोग की वेबसाइट (upslc.upsdc.gov.in) पर अपलोड किया गया है।