ज़फर कानपुरी
पहले तो सब को पेश है नाचीज़ का सलाम
बाद सलाम होता हूँ महफ़िल से हम कलाम
सारे जहां की लाया हूँ बातें निकाल कर
करता हूँ पेश नज़म के सांचे मे ढाल कर
आगाज़ आज करता हूँ मे मुल्क चीन से
यानी सितम रसीदा खुदा की ज़मीन से
नाज़िल हुआ वुहान पर अल्लाह का अज़ाब
हर कोई अपने चहरे पर रखने लगा नक़ाब
शक्ल ए वबा मौत वहां आकर डट गयी
और चीन की ज़मीं तो लाशों से पट गयी
बीमार होकर चारों तरफ मर रहे थे लोग
रोरो कर अपने रब से दुआ कर रहे थे लोग
फिर रब का चीन वालों पर अहसान हो गया
उनको मर्ज ये छोड़ कर ईरान को गया
ईरान मे भी मौत का जारी हुआ सफर
लेकिन खुदा के फ़ज़ल से किस्सा था मुख्तसर
ईरान से ये चल दिया हरमैन की तरफ
हरमैन से ये बढ़ गया स्पेन की तरफ
स्पेन से ये इटली का मेहमान हो गया
और देखते ही देखते हैवान हो गया
इटली मे जाकर इसने ना छोड़ा किसी को भी
बूढ़ा जवान किया था ना बक्शा किसी को भी
लाखों की जानें लेकर ये इटली से चल दिया
और जानिब ए अमेरीका तेज़ी से चल दिया
फिर गोरी गोरी चमड़ी उसने उधेड़ दी
कितनी ही रूहें इसने बदन से खदेड़ दी
गोरों को मात दे कर ये पलटा मेरी तरफ
यानी निशाना उसने लगाया मेरी तरफ
छूने लगा ये हिन्द की चौखट ज़रा ज़रा
आने लगी थी कानों मे आहट ज़रा ज़रा
फिर इसने अपनी टांगें यहां भी पसार दीं
ना जाने कितने लोगों की जानें ही मार दीं
अपना भी मुल्क आगया इसकी लपेट मे
हिन्दू न मुसलमान सभी थे चपेट मे
हालात ऐसे हो गए कोहराम मच गया
कोहराम इस ज़मीं पर हर गाम मच गया
हर सब थे क़फ़स मे करें भी तो किया करें
या तो मरें कोरोना से या भूख से मरें
हालांके अपना फर्ज अदा कर रहे थे लोग
एक दूसरे के हक़ मे दुआ कर रहे थे लोग
अब दुशमनी थी और ना आपस मे बैर था
हर शख्स भाई भाई था कोई न गैर था
मुश्किल की इस घड़ी मे भी कुछ लोग थे मगर
बैठे थे गढ़ा के मेरी क़ोम पे नज़र
उनको यही थी फिक्र की ऐसा भी किया करें
जिस से हिन्दू और मुसलमान लड़ मरें
लेकिन तमाम साज़िशें नाकाम हो गई
उनकी तमाम कोशिशें नाकाम हो गई
वो कुछ न कर सके तो यही काम कर गए
बस ला कर मेरे सर पे ये इल्ज़ाम धर गए
बोले कि मुस्लिमों से ही फेला है ये मर्ज
बेशक उन्हीं की जात से आया है ये मर्ज
दिन रात चीख चीख कर हल्ला मचा दिया
जबरन ही इस कोरोना को मुल्ला बना दिया
टोपी किसी ने कुर्ता किसी ने पहना दिया
हतता की इस कोरोना का खतना करा दिया
अब तक वो जिस कोरोना का नाम ही न था
मज़हब का जिस के सर कोई इल्ज़ाम ही न था
भारत मे पावँ रखते ही इंसान हो गया
यानी के अब कोरोना मुसलमान हो गया