पहले सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड वेक्सीन को इमरजेंसी यूज की अनुमति देना क्यो गलत है ये जान लीजिए।
इस देश की आबादी एक सौ पैंतीस करोड़ से भी ज्यादा है उसमें से मात्र 1600 लोगो पर कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड के तीसरे ट्रायल किये गए हैं ।
उसमे भी पाया गया है कि यह वैक्सीन सिर्फ 70.42 प्रतिशत तक ही प्रभावी है !
फिर भी इसे इमरजेंसी अप्रूवल दे दिया गया ?
अमेरिका के USFDA के पास यदि आप 1600 लोगो के ट्रायल का डेटा लेकर इमरजेंसी अप्रूवल की मंजूरी के लिए जाते तो वह आपके कागज फाड़ के फेक देता क्योकि उसे मंजूरी के लिए कम से कम 25 से 30 हजार लोगों का डेटा चाहिए जबकि उसकी आबादी आपसे चार गुना कम है
भारत बायोटेक की कोवेक्सीन को अनुमति देना तो ओर भी गलत है
आपको याद होगा कि जब रूस ने अपनी स्पूतनिक वेक्सीन को बिना थर्ड ट्रायल किये इमरजेंसी अप्रूवल दिया था तो हमारे यहाँ के तथाकथित विशेषज्ञ कितना हल्ला मचा रहे थे !…… लेकिन अब यहाँ जब कोवेक्सीन को बिना थर्ड ट्रायल के परिणामो को जाने बगैर अनुमति दी जा रही है तो सब मुँह में दही जमा कर बैठे हुए हैं
कोवैक्सिन के फेज-2 क्लिनिकल ट्रायल्स के नतीजे 23 दिसंबर को सामने आए है इसी आधार पर उसे अनुमति दे दी गई है
भारत बायोटेक ने फेज-3 ट्रायल्स में भारत में कई साइट्स पर 25,800 वॉलंटियर्स पर वैक्सीन के ट्रायल्स करने का लक्ष्य रखा है। मीडिया में खबरें आई थी कि कोवैक्सिन को ट्रायल्स के लिए वॉलंटियर्स नहीं मिल रहे। अब कंपनी का दावा है कि 13,000 लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है।
खास बात यह है कि ट्रायल में वैक्सीन के दो डोज लगाए जाने है यह वैक्सीन दो खुराक वाली हैं और दो खुराकों के बीच चार हफ्ते का अंतर है।
दूसरे डोज के कुछ दिन बाद ही पता चलेगा कि यह वैक्सीन कितनी सेफ और इफेक्टिव है। यानी कोवेक्सिन के फेज-3 के शुरुआती नतीजे जनवरी के अंत में ही सामने आ सकते हैं। यानी वैज्ञानिक दृष्टिकोण से कहा जाए तो अभी तक तो कोवेक्सीन के ट्रायल ही अधूरे है.
इसके बावजूद भारत का ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया इनके 110 प्रतिशत सुरक्षित होने की गारण्टी ले रहे हैं
समझ मे नही आ रहा कि DCGI को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) और भारत बायोटेक की कोरोना वायरस वैक्सीनों को आपातकालीन उपयोग की मंजूरी देने की जल्दी क्यो मची हुई है।