नई दिल्ली: विपक्ष के साथ-साथ एनडीए सरकार में सहयोगी रहे अकाली दल के अलावा देश के कई हिस्सों में किसानों के विरोध प्रदर्शन के बीच राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कृषि विधेयकों पर हस्ताक्षर कर दिए हैं. राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ ही अब ये विधेयक कानून बन गए हैं. कृषि संबंधी दो विवादास्पद विधेयकों को लेकर देश में विपक्षी दलों के साथ साथ किसानों में भी खासी नाराजगी देखने को मिल रही है. हरियाणा और पंजाब समेत के देश कई हिस्सों में किसान इस बिल के विरोध में सड़क पर हैं. किसानों को लगता है कि इस बिल की वजह से कृषि क्षेत्र में कोर्पोरेट्स की एंट्री हो जाएगी और उन्हें अपनी उपज का सही मूल्य नहीं मिलेगा. हालांकि सरकार की तरफ से हर बार किसानों को आश्वासन दिया जा रहा है कि एमएसपी पर किसी भी तरह का प्रभाव नहीं पड़ेगा. लेकिन किसान इस बिल को वापस लेने की मांग पर अड़े हैं.
इस बिल के विरोध में बीजेपी की सबसे पुरान सहयोगी शिरोमणि अकाली दल ने भी सरकार का साथ छोड़ दिया है. अकाली दल की मंत्री हरसिमरत कौर ने पहले इस मुद्दे पर इस्तीफा दिया औऱ अब शनिवार को पार्टी ने एनडीए से बाहर आने का भी ऐलान कर दिया है.
गौरतलब है कि राज्यसभा में 20 सितंबर को कृषि संबंधी विधेयकों को पारित कराने के केंद्र सरकार के तरीके पर विपक्ष ने नाराजगी जताई थी.
18 विपक्षी पार्टियों ने बिलों को पास कराने के सरकार के तरीके को ‘लोकतंत्र की हत्या’ बताते हुए इस मामले में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को लेटर लिखा था. इस पत्र में ‘महामहिम’ से अनुरोध किया गया था कि वे दोनों प्रस्तएावित कानूनों पर हस्ताक्षर नहीं करें. इसके साथ ही सरकार ने ‘‘जिस तरीके से अपने एजेंडा को आगे बढ़ाया है”, उसके बारे में भी विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति को पत्र लिखा था.
20 सितंबर को कृषि क्षेत्र से जुड़े दो विधेयक राज्यसभा में ध्वनि मत से पास हो गए थे. इस दौरान, विपक्षी पार्टी के सांसदों ने ‘तानाशाही बंद करो’ के नारे भी लगाए थे. टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने उप सभापति के आसन के पास पहुंचकर रूल बुक फाड़ दिया और आरोप लगाया कि सदन की कार्यवाही नियमों के खिलाफ हुई है.
(इनपुट khabar.ndtv.com)