नई दिल्ली. समाजसेवी अन्ना हजारे (Anna Hazare) अब कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ अनशन नहीं करेंगे. अन्ना हजारे ने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी से मुलाकात के बाद यह फैसला लिया है. अन्ना हजारे के कार्यालय ने कहा कि शुक्रवार की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि कृषि मंत्रालय, नीति आयोग और अन्ना हजारे द्वारा अनुशंसित कुछ सदस्यों वाली एक समिति किसानों से संबंधित मांगों को लागू करने/ पूरा करने के लिए अगले 6 महीनों में एक प्रस्ताव बनाएगी. कैलाश चौधरी और देवेंद्र फडणवीस ने आज अन्ना हजारे से आंदोलन ना करने की विनती की, जिसे अन्ना ने स्वीकार कर लिया है.
बता दें कि लगभग दो सप्ताह पहले अन्ना हजारे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा और अपना फैसला दोहराया कि ‘वह जनवरी के अंत में दिल्ली में किसानों के मुद्दे पर अंतिम भूख हड़ताल करेंगे.’ उन्होंने तारीख बताए बिना कहा था कि वह महीने के अंत तक उपवास शुरू करेंगे. इससे पहले, पिछले साल 14 दिसंबर को हजारे ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को पत्र लिखकर आगाह किया था कि कृषि पर एम एस स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशें समेत उनकी मांगें नहीं मानी गयी तो वह भूख हड़ताल करेंगे. उन्होंने कृषि लागत और मूल्य के लिए आयोग को स्वायत्तता प्रदान करने की भी मांग की थी. हजारे ने कहा था, ‘किसानों के मुद्दे पर मैंने (केंद्र के साथ) पांच बार पत्र व्यवहार किया लेकिन कोई जवाब नहीं आया.’
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के महानिदेशक ए पी माहेश्वरी ने शुक्रवार को यहां कहा कि गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान सुरक्षा बलों ने अपने ‘धैर्य और संयम’ का परिचय दिया. माहेश्वरी ने यहां एक कार्यक्रम के दौरान संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि ‘यह बचाव का प्रश्न नहीं है, बल्कि किसी कारण से एक ऐसी विषम स्थिति उत्पन्न हुई, तब बल ने बहुत धैर्य और संयम का परिचय दिया.’ उन्होंने कहा, ‘अगर ऐसा नहीं हो और विपरीत स्थिति उत्पन्न हो जाए, तो हमें यह देखना पड़ता है कि क्या और विकल्प अपनाये जा सकते हैं.’
माहेश्वरी से एक वायरल वीडियो के बारे में पत्रकारों ने सवाल पूछा था, जिसमें 26 जनवरी को दिल्ली में विरोध प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों का समूह एक पुल से सीआरपीएफ कर्मियों को धक्का दे रहा था. उनसे पूछा गया कि सीआरपीएफ ने खुद का बचाव क्यों नहीं किया, इस पर उन्होंने कहा, ‘हम गोली नही चला सकते थे, जिसके कारण कई लोगों की जान जा सकती थी. हम स्थानीय पुलिस और अन्य एजेंसियों के साथ समन्वय में काम करते हैं और उस समय बल द्वारा धैर्य और संयम दिखाया गया. हर बार गोली चलाना कोई विकल्प नहीं है. अगर कोई आतंकवादी हमला हुआ होता, तो गोली भी चलाई गयी होती. आपने देखा होगा कि कश्मीर में या नक्सली हमलों के दौरान हम कैसे उसका जवाब देते हैं.’
(input hindi.news18.com)