नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोशिएसन (JKCA) मनी लॉन्ड्रिंग केस में पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला की 11.86 करोड़ की संपत्ति प्रवर्तन निदेशालय ने जब्त कर ली है. नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख नेता के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम कथित वित्तीय गड़बड़ियों के मामले खंगाल रही है. ये सारे मामले जम्मू कश्मीर क्रिकेट एसोशिएसन में वित्तीय अनियमितताओं से जुड़े हैं. सीबीआई ने 2018 में फारूक अब्दुल्ला और तीन अन्य के खिलाफ चार्जशीट फाइल की थी. जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोशिएसन में 2002 से 2011 के बीच का ये मामला लगभग 43.69 करोड़ कथित अनियमितताओं से जुड़ा है.
ईडी ने दावा किया है कि 2006 से 2012 के दौरान फारूक अब्दुल्ला ने अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए जेकेसीए के फंड का दुरुपयोग किया. एजेंसी का दावा है कि 45 करोड़ से ज्यादा की रकम पर कथित रूप से हाथ साफ किया गया है. नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता की सीज की गई संपत्तियों में तीन आवासीय, एक वाणिज्यिक संपत्तियों के साथ और चार प्लाट भी शामिल हैं. इन सभी संपत्तियों की कीमत 11.86 करोड़ है, जबकि मार्केट वैल्यू 60 से 70 करोड़ की है.
अक्टूबर 2020 में फारूक अब्दुल्ला से इस बारे में दो बार पूछताछ हो चुकी है. नेशनल कॉन्फ्रेंस इस पूरी जांच प्रक्रिया को राज्य में स्पेशल स्टेटस के मुद्दे पर सभी पार्टियों को एक मंच पर लाने से जोड़कर देख रही है. 84 वर्षीय अब्दुल्ला की पार्टी के प्रवक्ता ने कहा, ”ईडी की तरफ से लेटर गुपकार डिक्लरेशन के तहत कश्मीर में पीपुल्स एलायंस की घोषणा के बाद आया है. ये स्पष्ट संकेत है कि पूरा मामला राजनीतिक प्रतिशोध से जुड़ा है.”
मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए नेशनल कॉन्फ्रेंस की ओर से कहा गया, ”ये होने वाला था जिसकी हमें उम्मीद थी. पार्टी ने कहा कि केंद्र की बीजेपी सरकार एजेंसियों का इस्तेमाल कश्मीर में बने नए राजनीतिक समीकरणों को तोड़ने में कर रही है. बीजेपी राजनीतिक तौर पर अपने प्रतिस्पर्धियों का मुकाबला नहीं कर सकती.
2019 में फारूक अब्दुल्ला को ईडी ने जुलाई में पूछताछ के लिए बुलाया था. इसके अगले महीने ही अगस्त 2019 में केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करते हुए राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांट दिया. इसके बाद कई महीनों तक फारूक अब्दुल्ला को पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत हिरासत में रखा गया था.
फारूक अब्दुल्ला के साथ-साथ उनके बेटे उमर अब्दुल्ला और प्रतिद्वंदी से दोस्त बनीं महबूबा मुफ्ती को केंद्र की सरकार ने कई महीनों तक हिरासत में रखा था. तीनों नेता पूर्व में मुख्यमंत्री रह चुके हैं.
(इनपुट hindi.news18.com)