मैं जहां तुम को बुलाता हूं वहां तक आओ
मेरी नज़रों से गुज़र कर दिल-ओ-जां तक आओ
फिर ये देखो कि ज़माने की हवा है कैसी
साथ मेरे मिरे फ़िरदौस-ए-जवां तक आओ
हौसला हो तो उड़ो मेरे तसव्वुर की तरह
मेरी तख़्ईल के गुलज़ार-ए-जिनां तक आओ
फूल के गिर्द फिरो बाग़ में मानिंद-ए-नसीम
मिस्ल-ए-परवाना किसी शम-ए-तपां तक आओ
लो वो सदियों के जहन्नम की हदें ख़त्म हुईं
अब है फ़िरदौस ही फ़िरदौस जहां तक आओ
छोड़ कर वहम-ओ-गुमां हुस्न-ए-यक़ीं तक पहुंचो
पर यक़ीं से भी कभी वहम-ओ-गुमां तक आओ
इसी दुनिया में दिखा दें तुम्हें जन्नत की बहार
शैख़-जी तुम भी ज़रा कू-ए-बुतां तक आओ