फरीदा अंजुम, पटना सिटी-8
तू बहुत मेहृबान है यारब।
तेरी ऊंची ही शान है यारब।।
तूने बख्शी है ख़ाक को इज़्ज़त।
अपनी यह दास्तान है यारब।।
सख़्त गर्मी में, ज़िक्र यह तेरा।
सिर पर जो सायबान है यारब।।
तू ही तू सुरख़ुरू करे मुझको।
ज़िन्दगी इम्तिहान है यारब।।
तू ही करता है रहबरी तब ही।
भटके जब कारवान है यारब।।
तू ही मालिक है तू ही ख़ालिक है।
तू ही दिलबर , प्राण है यारब।।
तेरी शायां हो हम्द किया मुझसे।
अंजुम आजिज़ बयां है यारब।।