हमेशा ध्यान में रखियो बड़ी कुर्सी बड़ा ग़ुस्सा
कहीं महेंगा न पड़ जाए हमें सरकार का ग़ुस्सा
मैं अक्सर मिर्च सालन में ज़ियादा डाल देती हूं
किसी सूरत तो ज़ाहिर हो मेरी रंजिश मेरा ग़ुस्सा
चलो अब मान भी लो तुम , तुम्हें ज़हनी मसाइल हैं
ज़रा सी बात पे करते हो तुम अच्छा भला ग़ुस्सा
मेरी हर डांट पर बच्चे जवाबन मुस्कुराते हैं
बस इक मुस्कान से उड़ जाता है बन कर हवा ग़ुस्सा
तेरी ख़फ़्गी के सारे ज़ाएकों का इल्म है मुझ को
कभी है नीम सा कड़वा कभी है चटपटा ग़ुस्सा
ज़माने, मेरी मनमानी पे क्यों आंखें दिखाता है
बहुत देखे तेरे जैसे तवनगर, चल हटा ग़ुस्सा