नई दिल्ली:हाथरस कांड की जांच अपने हाथों में लेते ही सीबीआई ने इस मामले में गैंगरेप, हत्या और हत्या के प्रयास के साथ-साथ एससी-एसटी एक्ट में मामला दर्ज किया है। सीबीआई ने पुलिस अधिकारियों से घटना से संबंधित सभी महत्वपूर्ण दस्तावेज भी मांग लिए हैं। मामले की जांच शुरू करते ही सीबीआई ने अपनी वेबसाइट से FIR की कॉपी को हटा दिया है। सीबीआई ने जब मामला दर्ज किया तो सीबीआई की वेबसाइट पर FIR दिखाई दे रही थी लेकिन जैसे ही सीबीआई ने इस मामले में पड़ताल को आगे बढ़ाया तो अपनी वेबसाइट से FIR को हटा दिया गया है।
सूत्रों के मुताबिक हाथरस की पीड़िता के नाम को एफआईआर में सफेद स्याही की मदद से छुपाया गया था, लेकिन अनावश्यक विवाद से बचने के लिए इसे सार्वजनिक डोमेन से वापस लेने का फैसला किया गया है। दरअसल CBI की टीम स्थानीय पुलिस द्वारा किए गए कथित अंतिम संस्कार, 14 सितंबर को रेप का केस नहीं लिखने के परिवार के आरोप सहित पूरे मामले की छानबीन करेगी। सीबीआई के प्रवक्ता ने बताया कि केस की जांच गाजियाबाद यूनिट करेगी, जिसमें स्पेशल टीम भी शामिल रहेगी। केस की इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर डीएसपी (एसीबी, गाजियाबाद) सीमा पाहूजा हैं।
दिसंबर, 2018 में, न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को निर्देश दिया था कि वह बलात्कार और यौन उत्पीड़न के पीड़ितों की पहचान उजागर न करे। शीर्ष अदालत ने कहा था कि नाबालिगों के साथ बलात्कार और यौन उत्पीड़न के मामलों में एफआईआर, पुलिस द्वारा सार्वजनिक डोमेन में नहीं डाली जानी चाहिए।