नई दिल्ली:ज्यादा से ज्यादा स्टूडेंट्स विदेश का रुख न करके देश में रहकर ही पढ़ाई करें, यह सुनिश्चित करने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने यूजीसी अध्यक्ष के नेतृत्व में शुक्रवार को एक समिति गठित की है। यह समिति ऐसे उपाय बताएगी जिससे अधिक से अधिक छात्र देश में रहकर पढ़ाई करें और इसके लिए शिक्षण संस्थानों के लिए बेहतर अवसंरचना विकसित की जा सके। इसके अलावा मल्टी-डिसिप्लिनरी और इनोवेटिव प्रोग्राम, ट्विनिंग और जॉइंट डिग्री प्रोग्राम शुरू करने, सेंटरों की क्रॉस कंट्री डिजाइनिंग, विदेश में प्रख्यात फैकल्टी द्वारा ऑनलाइन लेक्चर की सुविधा, शिक्षण संस्थानों और उद्योगों के बीच जुड़ाव की सुविधा, ज्वाइंट डिग्री वेंचर्स की सुविधा और उच्च शिक्षण संस्थानों में लेटरल एंट्री की व्यवस्था की जाएगी। समिति 15 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। यह फैसला तब लिया गया जब केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों और स्वायत्त / तकनीकी संगठनों के प्रमुखों के साथ “भारत में रहें और भारत में अध्ययन करें” विषय पर बातचीत कर रहे थे।फैसले के मुताबिक एआईसीटीई के अध्यक्ष तकनीकी संस्थानों से संबंधित मुद्दों की देख-रेख करेंगे। आईआईटी, एनआईटी और आईआईआईटी के निदेशकों और केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के सीओए और कुलपतियों वाली उप समितियां गठित की जाएंगी जो यूजीसी के अध्यक्ष और एआईसीटीई के अध्यक्ष की सहायता करेंगे। शिक्षा क्षेत्र के अनुभव को देखते हुए एनटीए के अध्यक्ष और सीबीएसई के अध्यक्ष को भी इनपुट के लिए बुलाया जा सकता है।“भारत में रहें और भारत में अध्ययन करें” विषय पर मंथन के दौरान मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री संजय धोत्रे भी उपस्थित थे। सचिव, उच्च शिक्षा, अमित खरे, यूजीसी के अध्यक्ष डी.पी. सिंह, एआईसीटीई के अध्यक्ष अनिल सहस्रबुद्धे, (आईसीसी) की संयुक्त सचिव श्रीमती नीता प्रसाद और एआईयू की महासचिव पंकज मित्तल ने भी बैठक में भाग लिया।निंशक ने कहा कि इन मुद्दों के समाधान के लिए छात्रों के वर्तमान और भविष्य की शैक्षिक आवश्यकताओं और कैरियर योजनाओं की गहन समझ की आवश्यकता होती है, जिन्हें समय पर जरुरी हस्तक्षेप के साथ उचित रूप से संबोधित करने की आवश्यकता है। उपरोक्त स्थितियों में से प्रत्येक में संभावनाएं और चुनौतियां मौजूद हैं।केन्द्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि वर्ष 2019 के दौरान लगभग 7 लाख 50 हजार छात्रों ने अपनी पढ़ाई के लिए विदेश यात्रा की और इस वजह से मूल्यवान विदेशी मुद्रा भारत से बाहर चली गई और साथ ही कई प्रतिभावान छात्र विदेश चले गए। उन्होंने कहा कि हमें भारत में अपनी शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिभावान छात्रों की मदद करने के लिए सभी प्रयास करने चाहिए। साथ ही सरकार के घोषणापत्र के अनुसार वर्ष 2024 तक सभी प्रमुख संस्थानों में सीट क्षमता 50 प्रतिशत बढ़ानी होगी और राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों की संख्या 2024 तक बढ़ाकर 50 करनी होगी।यूजीसी के अध्यक्ष डी.पी. सिंह ने कहा कि हमें ऐसे कार्यक्रम बनाने होंगे जो लचीले हों, दोहरी डिग्रियां देने का प्रावधान करना होगा, यह भी सुनिश्चित करना होगा कि जो छात्र भारत वापस आना चाहते हैं उनके लिए उचित शोध सुविधाएं देश में दी जाएं।एआईसीटीई की अध्यक्ष अनिल सहस्रबुद्धे ने कहा कि एआईसीटीई जल्द ही पूरे परिदृश्य का अध्ययन करने के बाद जरुरी उपायों के बारे में एक श्वेत पत्र लेकर आएगा।