नई दिल्ली/हैदराबाद:ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव नतीजों के रुझान बड़े उलटफेर की तरफ इशारा कर रहे हैं। दक्षिणी राज्यों में पैठ बनाने की बीजेपी के प्लान में यह चुनाव टर्निंग पॉइंट साबित हो सकते हैं। 150 सीटों वाले नगर निगम के चुनावी रुझानों बीजेपी 80 से ज्यादा सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं। अगर यह रुझान नतीजों में बदलते हैं तो समझिए कि भगवा पार्टी ने हैदराबाद का किला भेद लिया है। यहां चुनाव प्रचार के लिए केंद्रीय नेतृत्व डेरा डाले हुए था। पार्टी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के अलावा गृह मंत्री और ‘बीजेपी के चाणक्य’ कहे जाने वाले अमित शाह ने कमान अपने हाथ में ले रखी थी। रुझान देख बीजेपी जोश में है। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने भाग्यलक्ष्मी माता की तस्वीर शेयर की है। पात्रा ने साथ में ‘भाग्यनगर’ लिखा जो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान के संदर्भ में था। एक रैली में आदित्यनाथ ने हैदराबाद का नाम फिर से ‘भाग्यनगर’ रखे जाने की बात कही थी। चुनाव प्रचार के दौरान शाह माता के मंदिर में दर्शन को भी गए थे।
हैदराबाद में चुनाव प्रचार के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर रखा जाना चाहिए। अब जब नतीजे बीजेपी के पक्ष में जाते दिख रहे हैं बीजेपी इससे गदगद है। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने ‘भाग्यलक्ष्मी’ माता की फोटो ट्वीट कर साथ में ‘भाग्यनगर’ लिखा है। दोपहर होते-होते ट्विटर पर ‘भाग्यनगर’ ट्रेंड भी करने लगा था। शाह ने रविवार को कहा था कि भाजपा हैदराबाद को नवाब निजाम की संस्कृति से मुक्त कराना चाहती है और इसे एक आधुनिक शहर बनाना चाहती है।
बीजेपी के लिए दक्षिण भारत का हिस्सा अब भी अभेद बना हुआ है। कर्नाटक के अलावा बाकी राज्यों में पार्टी चुनौती देने की स्थिति में नहीं है। गठबंधन के सहारे उसकी मौजूदगी तो है लेकिन बाकी राज्यों जितनी चुनावी पकड़ यहां नहीं बन सकी। कई दक्षिणी राज्यों में चुनाव करीब हैं, इसी को देखते हुए बीजेपी नेतृत्व ने ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम के चुनाव में पूरा जोर लगा दिया। केंद्रीय मंत्रियों से लेकर स्टार प्रचारकों ने यहां जमकर कैंप किया। आक्रामक प्रचार अभियान का असर रुझानों में नजर आ रहा है।
बीजेपी ने जिस तरह मिशन मोड में ग्रेटर हैदराबाद का चुनाव लड़ा, उससे साफ है कि वह किस तरह इस इलाके में आगे बढ़ना चाहती है। नगर निगम की सीमा में 24 विधानसभा सेगमेंट्स आते हैं। तेलंगाना में 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं, उससे पहले हुए ये चुनाव एक तरह से मूड सेट करेंगे। TRS 2016 में 99 सीटें जीती थीं, जबकि AIMIM को 44 सीटों पर जीत मिली थी। दिसंबर 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में TRS की एकतरफा जीत हुई थी मगर अप्रैल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने TRS से चार अहम सीटें छीन ली थीं। 10 नवंबर 2020 को दुब्बका विधानसभा उपचुनाव में भी TRS को बीजेपी के हाथों शिकस्त मिली।
गृह मंत्री ने प्रचार समाप्त होने से एक दिन पहले, हैदराबाद में रोडशो किया था। उन्होंने भाग्यलक्ष्मी मंदिर में पूजा भी की थी। उन्होंने तेलंगाना राष्ट्र समिति और एमआईएम को परिवार की राजनीति को आगे बढ़ाने वाली पार्टियां करार दिया था। शाह ने कहा था, “सरदार पटेल की वजह से तेलंगाना, मराठवाड़ा और हैदराबाद भारत का हिस्सा बने। कुछ लोग ऐसे हैं, जो इन क्षेत्रों को पाकिस्तान में मिलाने के लिए कैंपेन चला रहे हैं।” यह पूछे जाने पर कि एमआईएम प्रमुख ओवैसी भाजपा पर लोगों को बांटने का आरोप लगा रहे हैं, पर उन्होंने कहा, “ओवैसी को इस बात पर जवाब देना चाहिए कि कौन तेलंगाना को पाकिस्तान के साथ मिलाने की बात कर रहा है।”
(इनपुट navbharattimes.indiatimes.com)