आरिफ़ा मसूद अंबर मुरादाबाद
इल्म एक ऐसा नूर है जो जहालत के अंधेरों को दूर करता है। ऐसी रोशनी है जो अंधेरों में उजाला करती है। इल्म एक ऐसा जे़वर है जिसकी चमक कभी कम नहीं होती, बल्कि वक़्त के साथ बढ़ती ही रहती है। इल्म एक ऐसी नेकी है जो हमेशा के लिए इंसान का नाम जिंदा रखती है – इल्म ज़रिए हमारे दिलों दिमाग की तामीर होती है। हत्ता की दीन दुनिया और मजहब को भी इल्म बगैर नहीं समझा जा सकता। हम दुनिया के किसी भी कोने में जाएं इल्म के जरिए ही हमें आसानियां फ़रहम होती हैं। इल्म एक दोस्त की मानिंद है ,इससे बढ़कर कोई दूसरा दोस्त नहीं होता। अपने बच्चों को इल्म जैसी अजी़म दौलत को हासिल कराने के लिए वालदैन की ज़िम्मेदारी मज़ीद बढ़ जाती है, कि वह अपने बच्चों को इल्म की दौलत से आरासता कराने के लिए ऐसी दरसगाह ( स्कूल) का इंतेखाब करें जहां से बच्चों को ना सिर्फ़ इल्म की दौलत हासिल हो बल्कि उसकी शख्सियत और तरबियत का भी ख़ास ख़्याल रखा जाए। जहां बच्चों को घर से ज़्यादा सहूलियतें फ़राहम ( प्राप्त) हों। शहर ए जिगर में” दिल्ली पब्लिक ग्लोबल” स्कूल एक ऐसा इदारा है जहां बच्चों को बेहतरीन तालिमी मेयार के साथ-साथ उसके मुस्तकबि़ल की भी तैयारी करवाई जाती है।
शहर मुरादाबाद में चेयरमैन अबू बकर मंसूर साहब और मैनेजिंग डायरेक्टर अहमद ज़करिया साहब की क़यादत में 2013 में Amtul Educational Trust क़ायम की गई। अम्तुल पब्लिक स्कूल में बेहतरीन तालीम तरबीयत के सबब इस स्कूल ने शहर मुरादाबाद में अपनी एक खा़स पहचान का़यम की। बच्चों के वालैदैन ने स्कूल पर बहुत भरोसा किया और इसकी तालीम व तरबियत से मुतमईन होकर बेशुमार बच्चों ने अम्तुल पब्लिक स्कूल में दखि़ला लिया। अम्तुल पब्लिक स्कूल की बेइंतहा कामयाबी और बच्चों को मज़ीद (और अधिक) सहूलियतें देने की वजह से ट्रस्ट ने अम्तुल पब्लिक स्कूल को *दिल्ली पब्लिक ग्लोबल स्कूल* में मुन्तकि़ल (स्थानांतरित) करने का फ़ैसला लिया। इसके लिए एक बड़ी ज़मीन की ज़रूरत थी। लिहाज़ा चेयरमैन अबू बकर मंसूर साहब ने पंडित नगला बाईपास रोड पर 10 एकड़ ज़मीन का इंतजाम किया। ताकि एक शानदार स्कूल बनाने के अपने ख़्वाब को मुकम्मल कर सकें । अगर इंसान के इरादे मज़बूत और अल्लाह पर कामिल यक़ीन हो तो हर मुश्किल आसान हो जाती है । लिहाज़ा इस यक़ीन के साथ अबू बकर मनसूर साहब ने इस स्कूल की बुनियाद रखी, जिसके नतीजे में 10 एकड़ जमीन पर मुशतमिल एक शानदार इमारत की तामीर की गई। इस स्कूल की इमारत देखने से ताल्लुक रखती है। सफ़ेद पत्थर से बनी स्कूल की ख़ूबसूरत इमारत को देखते ही दिल में किसी तारीख़ी (ऐतिहासिक) इमारत का एहसास होता है । स्कूल का बड़ा कैंपस ” राशिद नॉलेज पार्क” के नाम से जाना जाता है। स्कूल के सारे क्लासेस में एयर कंडीशन और स्मार्ट क्लास का प्रबंध किया गया है जिसमें हर समय नेट की सुविधा उपलब्ध रहती है। बच्चों में तालीमी मेयार के मद्देनजर एक बड़ी लाइब्रेरी का इंतजाम भी किया गया है। हर क्लास में बच्चों का लाइब्रेरी पीरियड लगाया जाता है। ताकि बच्चों में पढ़ाई का शौक पैदा हो और वह अपनी दरसी (पाठ्यक्रम) किताबों के अलावा दूसरी किताबों से भी इस्तेफा़दाह (लाभ) हासिल कर सकें। आधुनिक दौर में स्कूलों में प्रयोगशालाएं अपना एक ख़ास मुकाम रखती हैं। जदीद दौर में तालीम को सरकारी और अमली जिंदगी से मुनसलिक (जोड़ना) किया जा रहा है। इसके लिए शिक्षा और शिक्षा जगत में एक नारा लगाया गया है “करके सीखो”। करके सीखने के लिए हमें प्रयोगशालाओं तथा उनमें विभिन्न प्रकार के उपकरणों तथा साज-सज्जा की आवश्यकता होती है। छात्रों की इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए DPGS में शानदार प्रयोगशालाएं बनाई गई हैं। साइंस लैब, इंग्लिश लैब , मैथ्स लैब, भी बनाए गए हैं। इन प्रयोगशालाओं में बच्चे विभिन्न प्रकार के प्रयोग करके न केवल सीखते हैं बल्कि हक़ाईक़ का अमली और जिंदगी के लिए मुफी़द ( व्यवहारिक व जीवन उपयोगी ) इल्म भी हासिल करते हैं । स्कूल के पास 300 सीट का एक ख़ूबसूरत AC ऑडिटोरियम हैं। ऑडिटोरियम में एक बड़ा स्टेज खूबसूरत डाईस से सजा है। इस ऑडिटोरियम में बेहतरीन म्यूज़िक सिस्टम का इंतजाम किया गया है जिसमें मुख़्तलिफ (विभिन्न) मौक़ों पर प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं ताकि बच्चे में छुपी हुई प्रतिभाओं को बाहर लाया जा सके।
इसके अलावा एक बड़ा मल्टीपरपज़ हॉल भी है जिसे ज़रूरत के हिसाब से इस्तेमाल किया जाता है। स्कूल में एक लैंग्वेज लैब का भी इंतजाम किया है जिसमें हेडफोन और माईक लगाकर बच्चों को अंग्रेजी बोलना सिखाया जाता है।
स्कूल परिसर में बहुत बढ़ा असेम्बली ग्राउंड है। ग्राउंड के साथ क्रिकेट प्रैक्टिस पिच भी बनाई गई है। बास्केटबॉल ,फुटबॉल हॉकी, बैडमिंटन आदि खेलों का भी प्रशिक्षण दिया जाता है। ताकि बच्चें अपनी रूचि के अनुसार खेल में प्रशिक्षित हो सकें। स्कूल में प्रशिक्षित कोच के द्वारा ताइक्वांडो भी सिखाई जाती है, हमारे ख़्याल में ताइक्वांडो इस वक्त की सबसे बड़ी ज़रूरत है । ताइक्वांडो में प्रशिक्षित होकर बच्चों में आत्मरक्षा की भावना विकसित होती है , और वे मुश्किल वक्त में अपनी हिफ़ाज़त करने में कामयाब रहते हैं । स्कूल परिसर के बाहर एक सुंदर एनीपोल बनाया गया है जिसमें विभिन्न प्रकार के जानवरों के रखने का प्रबंध किया है बच्चे कच्ची मिट्टी के बर्तन की मानिंद होते हैं इस वक्त उन्हें हम जैसे चाहे आकार दे सकते हैं । एनी पोल में जाकर बच्चे जानवरों से भी प्यार करना सीखते हैं।
इसके साथ ही आला तालीम याफ़्ता स्टाफ बच्चों की तालीम व तरबीयत में अहम किरदार अदा कर रहा है। यह स्कूल अंग्रेजी और उर्दू तहजीब का मिनारा है, गंगा जमुनी तहज़ीब के गहवारे इस स्कूल की ख़ास बात यह है की एक तरफ आला तालीम याफ़्ता उर्दू टीचर के ज़रिए बच्चों की तालीम के साथ-साथ उनकी शख्सियत व तरबीयत का ख़ास ख़्याल रखा जाता है वहीं ग़ैर मुस्लिम छात्रों के लिए संस्कृत की तालीम का भी इंतजाम किया गया है।
स्कूल की प्रिंसिपल स्कूल की बुनियादी रहनुमा हैं। एक अच्छी रहनुमा हमेशा मिसाल के तौर पर जानी जाती हैं। दिल्ली पब्लिक ग्लोबल स्कूल की प्रिंसिपल श्रीमती मुनीरा सिद्दीक़ी “बाल भारती पब्लिक स्कूल” दिल्ली से 30 साल का तजुर्बा हासिल किए हुए हैं । हर कदम पर एक मुशफ़िक़ (मुहब्बत वाली) रहनुमा की तरह अपने स्टाफ की रहनुमाई फ़रमाती हैं। छात्रों के अभिभावकों के साथ संपर्क बनाए रखती हैं। ताकि बच्चों की हर गतिविधि को समझ कर उनके विकास में स्कूल महत्वपूर्ण योगदान कर सके। एक अच्छे रहनुमा की तरह श्रीमती मुनीरा सिद्दीक़ी ने कोविड-19 जैसी महामारी और मुश्किल वक्त में अपनी टीचर्स की बेहतरीन रहनुमाई करते हुए ऑनलाइन क्लासेज के ज़रिए बच्चों की तालीम पर ख़ास तवज्जो दी। अल्लाह करीम किसी किसी इंसान को अपनी ख़ास सलाहियतों से नवाज़ता है मुनीरा सिद्दीकी भी इन्हीं में से एक हैं।
दिल्ली पब्लिक ग्लोबल स्कूल के डायरेक्टर विंग कमांडर मनसूर सिद्दीकी 25 साल का फौज का तजुर्बा लिए हुए हैं आप का यह तजुर्बा स्कूल के निज़ाम (system) को अच्छी तरह चलाने में खा़स अहमियत रखता है।
इस शानदार इदारे को देखने और मजी़द मालूमात हासिल करने के लिए एक बार स्कूल की वेबसाइट www.dpgs mbd.com पर ज़रूर जाएं