मुजाहिद चौधरी एडवोकेट
हसनपुर अमरोहा
कोरोनावायरस के चलते देश में लॉकडाउन और उसके बाद जारी सरकारी पाबंदियों की वजह से ईद उल अज़हा यानी बकरा ईद पर कुर्बानी के लिए जानवरों की खरीद-फरोख्त के लिए नागरिकों को संघर्ष करना पड़ा है और दर-दर की ठोकरें खाना पड़ी हैं । अघोषित पाबंदी और पुलिस की सख्ती के कारण नागरिकों को ईद पर कुर्बानी के लिए बकरा आदि जानवर खरीदने में काफी परेशानियों और दिक्कतों का सामना करना पड़ा है । सरकारी पाबंदी के कारण इस समय साप्ताहिक बाजार, पैंठ, नखासे सभी बंद हैं । अगर कोई नागरिक बकरा आदि बेचने के लिए बाज़ार में या कहीं अन्य स्थान पर दिखाई दिया तो स्थानीय पुलिस ने उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है और उसको मारपीट कर वहां से भगा दिया है । यहां तक की चारा खरीदने में भी नागरिकों को काफी परेशानी हो रही है । उत्तर प्रदेश सरकार से लेकर जनपद और तहसील स्तर पर अधिकारी और आम जनता तथा मस्जिद के इमामों के बीच बकरा ईद मनाने हेतु बैठकें आयोजित करके शासन की गाइडलाइन बता दी गई है । लेकिन सरकार या शासन की ओर से कुर्बानी के जानवरों की खरीदारी हेतु ना तो बाजार या नखासों से पाबंदी हटाई गई और ना ही जानवरों के खरीदने और बेचने की कोई वैकल्पिक व्यवस्था अथवा कोई प्रबंध किया गया । जिससे कुर्बानी का जानवर खरीदने वाले नागरिक, कुर्बानी के जानवरों की बिक्री करने वाले नागरिकों को काफी परेशानी उठानी पड़ी है । ना तो जानवरों को बेचने वाले अपने घर से बाहर निकल पा रहे हैं और ना ही खरीदने वालों को जानवर खरीदने हेतु कोई उचित स्थान ही मिल पा रहा है । पुलिस की इस तरह की अवैध और नियम विरुद्ध कार्यवाही पहले कभी किसी ईद पर नहीं देखी गई । और यही वजह है की आम नागरिक कुर्बानी के लिए अपनी मर्जी और अपने बजट के हिसाब से जानवर नहीं खरीद पा रहा है । क्योंकि जानवर बेचने वाले भी मौके का फायदा उठा रहे हैं और अपने जानवरों को महंगे दामों पर बेच रहे हैं । पुलिस की सख्ती के कारण कुर्बानी के लिए खरीदे गए जानवरों को भी उनके मालिक चारा तक नहीं खरीद पा रहे हैं । जिससे पुलिस के खिलाफ नागरिकों में रोष पनप रहा है । ऐसे में एक भाजपा नेता द्वारा अनावश्यक सांप्रदायिक व भड़काऊ बयान देकर आग में घी डालने का काम किया गया है । राष्ट्रीय एकता और अखंडता को सुरक्षित रखने के लिए,देश की गंगा जमुनी तहजीब मजबूत करने के लिए,आपसी भाईचारा और सहयोग कायम रखने के लिए एक दूसरे के त्योहारों में सहयोगात्मक रवैया अपनाने की जरूरत है ना कि भड़काऊ यान देकर माहौल को खराब करने की । सरकार को ऐसे तत्वों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए । हालांकि सरकार के साथ- साथ उलमाए इकराम ने भी सरकार की गाइड लाइन पर अमल करने, सोशल डिस्टेंसिंग लागू करते हुए मस्जिदों और ईदगाहों में जाने से परहेज करने और पूरी साफ सफाई और पर्दे के साथ कुर्बानी करने का आह्वान किया है । उल्लेखनीय है कि सरकार द्वारा जो गाइडलाइन जारी की गई है इस्लाम में पहले से ही वह सारी कुर्बानी की शर्तों के रूप में अमल करने की ताकीद की गई है । इन परेशानियों के बीच और ईद उल अजहा के पहले दोनों दिन लॉक डाउन की वजह से अबकी बार ईद कैसे मनाई जाएगी ? मुस्लिम परिवारों में यह चिंता का विषय है । क्योंकि लॉकडाउन में घरों से निकलने पर पाबंदी है, बाज़ार बंद रहेंगे,एक दूसरे के घर जाने पर भी पाबंदी होगी । इसे अपने गुनाहों की सज़ा समझे,कुदरत की मार कहें या अपनी सितम ज़रीफी । लेकिन यह सच है कि ईद-उल फितर की तरह ईद उल अज़हा भी कोरोना वायरस की भेंट चढ़ गई। ऐसे में जरूरी है कि कोरोना वायरस से बचने के लिए और कुर्बानी को सही जज्बे और नियत के साथ अदा करने के लिए उन सभी शर्तों और सरकार की गाइड लाइन पर अमल करें । अपने घरों से बाहर ना निकलें, मास्क और सैनिटाइजर का उपयोग करते रहें,नमाज़ के दौरान ज्यादा भीड़ ना लगाएं,ना गले लगाएं ना हाथ मिलाएं,शारीरिक दूरी का पालन करें और सभी सुन्नतों पर अमल करते हुए, प्रशासन की गाइडलाइन का पालन करते हुए कुर्बानी करें ।