नई दिल्ली:सऊदी के प्रिंस ने रविवार को बहरीन में आयोजित हुई सुरक्षा शिखर वार्ता में इजरायल को खूब खरी-खोटी सुनाई. सऊदी प्रिंस तुर्की बिन फैसल अल सउद की सख्त टिप्पणी से बैठक में मौजूद इजरायल के विदेश मंत्री असहज हो गए. सऊदी प्रिंस का ये बयान इजरायल को इसलिए भी हैरान करने वाला था क्योंकि सऊदी के सहयोगी यूएई और बहरीन ने हाल ही में इजरायल के साथ रिश्ते बहाल किए थे. सऊदी अरब ने भी इस समझौते को लेकर कोई आपत्ति नहीं जताई थी. हालांकि, सऊदी प्रिंस की इजरायल की कड़ी आलोचना से ये साफ हो गया कि फिलीस्तीन की समस्या का समाधान हुए बिना अरब देशों और इजरायल के बीच आगे कोई समझौता होना इतना आसान नहीं होगा. यूएई और इजरायल के बीच हुए समझौते का फिलीस्तीनियों ने कड़ा विरोध किया था और कहा था कि अरब देशों ने उनकी पीठ में छुरा भोंका है.
सऊदी प्रिंस तुर्की बिन फैसल ने समिट में अपने संबोधन में कहा, तुर्की खुद को उच्च नैतिक मूल्यों वाला शांतिप्रिय देश बताता है लेकिन पश्चिमी औपनिवेशिक ताकत की छाया तले फिलीस्तीन उसकी स्याह हकीकत है. प्रिंस ने कहा, इजरायल ने अपने यातना कैंपों में फिलीस्तीनियों को बंद कर रखा है, जवान, बूढ़े, महिला-पुरुष न्याय पाए बिना वहां सड़ रहे हैं. इजरायली फिलीस्तीनियों के घर गिरा रहे हैं और जिसको चाह रहे हैं, मार रहे हैं. प्रिंस ने इजरायल के अघोषित परमाणु हथियारों के जखीरे की भी आलोचना की और कहा कि इजरायल की सरकार अपने राजनीतिक प्रभाव और मीडिया का इस्तेमाल दूसरे देशों में सऊदी अरब की बदनामी करने में कर रही है. सऊदी प्रिंस ने कहा कि इजरायल खुद को एक ऐसे छोटे देश के तौर पर पेश करता है जिसके अस्तित्व पर खतरा है और कुछ खून के प्यासे हत्यारे उसका नामोनिशान मिटा देना चाहते हैं. और दूसरी तरफ वो ये भी कहते हैं कि वो सऊदी अरब के साथ दोस्ती करना चाहते हैं.
सऊदी प्रिंस ने इजरायल-फिलीस्तीन विवाद को लेकर रुख साफ करते हुए कहा कि साल 2002 में अरब शांति समझौते के जरिए ही इस समस्या का समाधान हो सकता है. इस समझौते के तहत, इजरायल फिलीस्तीनियों के अधिकार को वापस करेगा और बदले में सभी अरब देश उसके साथ रिश्ते बहाल कर लेंगे. उन्होंने कहा, आप पेनकिलर्स से खुले हुए जख्मों को नहीं भर सकते हैं. इजरायल के विदेश मंत्री इस बैठक में वर्चुअली मौजूद थे. सऊदी प्रिंस तुर्की के संबोधन के बाद इजरायल के विदेश मंत्री गाबी अश्केन्जी ने भाषण दिया. उन्होंने भी प्रिंस के बयान पर पलटवार किया. इजरायली विदेश मंत्री ने कहा, मैं सऊदी के प्रतिनिधि के बयान को लेकर अफसोस जाहिर करता हूं. मुझे नहीं लगता कि उनका बयान मध्य-पूर्व में हो रहे बदलावों को प्रदर्शित करता है. इजरायल के विदेश मंत्री ने कहा कि शांति समझौते के विफल रहने के लिए फिलीस्तीनी ही जिम्मेदार हैं. एश्केन्जी ने कहा, हमारे पास दो ही विकल्प हैं- या तो फिलीस्तीन समस्या का समाधान करें या फिर यूं ही एक-दूसरे पर आरोप मढ़ते रहें.
ऑडियंस में बैठे नेतन्याहू के करीबी और यूएन में राजदूत रह चुके डोर गोल्ड ने कहा कि प्रिंस फैसल के बयान में अतीत के आरोपों को शामिल किया गया है जिनमें से अधिकतर गलत हैं. इसके जवाब में प्रिंस गोल्ड के उन टेलिविजन भाषणों को सामने लाए जिनमें उन्होंने सऊदी के खिलाफ टिप्पणी की थीं. प्रिंस ने कहा, मुझे लगता है कि डोर गोल्ड आखिरी शख्स होंगे जो यहां पुरानी मान्यताओं और नजरिए के बारे में बात कर सकें.
सऊदी प्रिंस और इजरायली विदेश मंत्री के बीच कहा-सुनी बढ़ती देख बहरीन के विदेश मंत्री अब्दुल्ला अल-जायनी ने विवाद शांत कराने की कोशिश की. हालांकि, बहरीन के विदेश मंत्री ने भी अरब शांति समझौते के तहत फिलीस्तीन-इजरायल विवाद के समाधान का समर्थन किया. उन्होंने कहा, शांति का रास्ता इतना आसान नहीं है. रास्ते में कई सारी बाधाएं खड़ी हैं. इस रास्ते में कई उतार-चढ़ाव आएंगे लेकिन इस शांति का रास्ता इजरायली-फिलीस्तीन के मुद्दे के समाधान से ही निकलेगा. प्रिंस तुर्की ने 20 सालों से ज्यादा वक्त तक सऊदी इंटेलिजेंस का नेतृत्व किया है और वो अमेरिका-ब्रिटेन में सऊदी के राजदूत भी रह चुके हैं. वर्तमान में उनके पास कोई आधिकारिक पद नहीं है लेकिन उनका रुख सऊदी किंग सलमान से काफी मिलता-जुलता है. हालांकि, सऊदी के क्राउन प्रिंस एमबीएस यानी मोहम्मद बिन सलमान इजरायल के साथ रिश्ते बहाल करने के इच्छुक नजर आते हैं. सऊदी क्राउन प्रिंस एमबीएस को लगता है कि इजरायल के साथ आने से ईरान की चुनौती से निपटने में मदद मिलेगी और सऊदी में विदेशी निवेश में भी बढ़ोतरी होगी.
दरअसल, ईरान की चुनौती की वजह से इजरायल और खाड़ी देश करीब आ रहे हैं. सऊदी अरब भी कई सालों से गुपचुप तरीके से इजरायल के साथ बातचीत कर रहा है. पिछले महीने ऐसी खबरें भी आई थीं कि इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने सऊदी अरब का गोपनीय दौरा किया था. इस खबर के बाद दोनों देशों के रिश्ते बहाल होने के कयास और तेज हो गए थे. हालांकि, सऊदी ने ऐसी कोई मुलाकात होने से इनकार कर दिया था.
(इनपुट aajtak.in)