जागती आंखों में था अम्बर खुला
सो गए तो ख़्वाब में इक दर खुला
नाम जब दिल ने पुकारा या अली
तो सभी पर मानिए लश्कर खुला
बेख़याली में छुआ उसने मुझे
एक दरवाज़ा मिरे अंदर खुला
रास्ते में धूप थोड़ी तेज़ है
किस की यादों को रखूँ सर पर खुला
खींच लूंगा धूप की तस्वीर में
रह गया घर में अंधेरा गर खुला
ज़िंदगी में रंग भरने हों अगर
रख्खो अपने सामने मंज़र खुला
ख्वाहिशें लेने लगीं अंगड़ाइयां
जब तिरा साया दरीचे पर खुला
साथ रह कर भी रहे हम अजनबी
एक मुद्दत बाद ये हम पर खुला