नायाब हसन
हिन्दी अनुवाद :अब्दुल बारी कासमी
एक मशहूर कहावत है कि किसी किताब के अच्छी या बुरी होने का फैसला उसके टाइटल की खूबसूरती या बदसूरती से नहीं करना चाहिए.
यानी ये मुमकिन है के किसी किताब का टाइटल बहुत खूबसूरत हो, मगर उसमें छपा हुआ मवाद आपके ज़हन व फ़िक्र व ज़ौक़ की परागन्दगी का सबब बन जाये, जबकि उसी वक्त यह भी मुमकिन है कि किसी किताब का कवर बहुत खूबसूरत और जाज़िब ए नजर ना हो, मगर उसके मशमूलात आपके ज़हन को नूर और दिल को सुरूर देने वाले हों.
अरबी के मशहूर शाइर नज़ार क़बानी कहते हैं कि ” बहुत से लोग ऐसी किताबों के मानिंद होते हैं जिनका टाइटल तो भड़क दार होता है, मगर अंदर कुड़ा कबाड़ भरा होता है ”यानी वो भी यही संदेश दे रहे हैं कि किसी चीज या शख्स के जाहिर को देख कर उसके बातिन (अंदर) पर हुक्म नहीं लगाना चाहिए.
लेकिन मामला उस वक़्त कितना दिलचस्प हो जाता है, जब कोई इमारत ही किताबों की शक्ल पर डीजाइन की जाये.
मेरे ख्याल में तब हम उसके जाहिर की खूबसुरती, दिलकशी, जाज़बियत और जमाल अंगेज़ी को देख कर उसके बातिन के बारे में अच्छे विचार बनाएंगे और उसमें हम हक़ पर होंगे.
इमारत की बात आई तो पूर्व ब्रिटिश प्रधान मंत्री विंस्टन चर्चल (जिस से हम हिन्दुस्तानी भी अच्छे से परिचित हैं)की ऐक तारीख़ी बात याद आ गयी, जब विश्व युद्ध – 2 में ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमनस की दर व दीवार टूट गये तो उसकी मरम्मत की जरूरत और अहमियत बयान करते हुए उसने कहा था ” बहुत सी इमारतें ऐसी होती हैं जिनका नक्शा तो हम बनाते हैं मगर बाद में वही इमारतें लोगों के ज़हनों में हमारी तस्वीर बना देती हैं, हमारा शिनाख्त नामा बन जाती हैं”.
कुछ यही मामला भारतीय रियासत केरल की दो इमारतों का है, केरल हमें वक्त वक्त पर अपनी विभिन्न सांस्कृतिक, समाजी व सियासी खूबियों से हैरत ज़दा करता रहता है, मगर उसका असली निशान ए इम्तियाज़ उसकी सौ फीसद साक्षरता दर वाली इल्मी शिनाख्त (परिचय) है और इन दोनों इमारतों का तअल्लुक़ भी उसकी उसी इम्तियाज़ी खुसूसियत से है.
बजाहिर तो उनकी पहचान ये है कि उनमें से एक पब्लिक लाइब्रेरी है और दूसरी किताबों की दुकान, मगर जो चीज़ उन इमारतों में इन्फ्रादियत पैदा करती है वो उनका तर्ज़ ए तामीर और उसके पस ए पर्दा कार फर्मा बेहतरीन तखलीक़ी अज़हान, वो बहुत अच्छे, बहुत प्यारे लोग हैं, जिन्हें किताबों से बे पनाह इश्क़ है और उसका इज़हार उन्हों ने कमाल फनकारी से किया है.
एक इमारत केरल के ज़िला कनूर के करायेल (karayil) में है, उसकी स्थापना दक्षिणी हिन्दुस्तान के स्वतंत्रता सेनानी के केलपन (k kelappan) ने 1967 में रखी थी. उसका नाम लाल बहादुर लाइब्रेरी और दारूल मुताला या लाल बहादुर वयानसाला व ग्रंथालयम है. इस लाइब्रेरी की गोल्डन जुबली की मुनासिबत से लाइब्रेरी इन्तेज़ामिया और उस से वाबस्ता अफ़राद ने उसको एक नई ईमारत में मुनतक़िल करने का फैसला किया और उसकी एक भव्य इमारत बनाई जिसके दर व दीवार किताबों की शक़्ल में डिज़ाइन किये गए हैं. उसकी तस्वीर देखें तो ऐसा लगता है कि पूरी इमारत किताबों से तामीर की गयी है क्या ही खुशनुमा मंज़र है. उसका खाका दक्षिण के मुजसमा साज़ के के आर वेंगारा (kkr Vengara ) ने बनाया और स्थानी कलाकार सी वी श्रीधरण ने उनके खाके को महसूस पैकर अता करने में उनकी मदद की है.
उस लाइब्रेरी में मलयालम ज़ुबान की क्लासिक्स मौजूद हैं, किताबों की मजमूई तादाद 5 हज़ार से कुछ अधिक है, बाहर दरवाज़े के सामने हिन्दुस्तानी पूर्व प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू और लाल बहादुर शास्त्री के मुजस्समे भी रखे हुए हैं, लाल बहादुर ही के नाम पर लाइब्रेरी का नाम भी है, लाइब्रेरी की उस नई इमारत का उद्घघाटन पिछले वर्ष 2019 की 3 फरवरी को मलयालम जुबान के मशहूर अफ़साना निगार, नॉवेल निगार, कॉलमीसट और शाइर ऐन प्रभाकरन ( N Parbhakaran) ने किया था, आपको ये जान कर हैरत होगी कि उस इमारत के उद्घघाटन समारोह में लोगों को बुलाने के लिए ढोल नगारों के साथ जुलूस निकाला गया और समारोह में बच्चों और बड़ों, मर्द व ख्वातीन ने रंगा रंग सकाफती प्रोग्राम पेश किए.
इसी राज्य के ऐक दूसरे शहर कौच्ची की अल्वा (Aluva) नामी म्यूनिसिपलटी में 3 हजार सकूआएर फिट में फैली हुई है Once Upon A time नामी एक दो मंजिला किताब की दुकान है, जिसकी उपरी मंजिल ऐसे बनाई गयी है के लगता है छत पर चार किताबें तरतीब से खड़ी करके रखी हुई हैं. उनमें से ऐक जे के रॉलिंग की harry potter ،दूसरी हरमन मेलुल की Moby Dick तीसरी बिनयामीन की Aadujeevitham और चौथा मशहूर बरालीजियन नॉविलिस्ट पाउलो कोइलहू का दुनिया की अस्सी से जयादा जबानों में अनुवाद किया जाने वाला मशहूर नॉवेल The Alchemist है.
जून के पहले हफ्ते में उस वक्त उस इमारत की तस्वीर सोशल मीडिया पर वाइरल हुई थी,जब खुद पाउलो कोइल्हो ने अपने औफिशियल ट्विटर और इंस्टाग्राम अकाउंट पर उसे शेयर किया और चंद घंटों में ही उस मुनफरिद तामीरी शाहकार की लाखों लोगों ने पसंद किया और शेयर किया, इस बुक शॉप की तामीर में दो करोड़ रुपये की लागत आयी है.
ज़रा इस बुक शॉप के मालिकों के बारे में भी जानते हैं, ये बुक शॉप एक मर्द और ऐक खातून के ख्वाब की ताबीर है, ये दोनों मियां बीवी हैं, शौहर का नाम अजी कुमार (Aji kumar) है और बीवी का नाम वी एम मंजू (V M manju) है, दोनों पंद्रह सालों से मियां बीवी हैं। शौहर इलेक्ट्रिक इंजीनियर हैं और इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड में मुलाजिम थे, बीवी सॉफ्ट वेयर इंजीनियर हैं और टाटा कनसलटैनसी सर्विसेज़ में जॉब कर चुकी हैं.
दोनों ने 13 साल पहले ही मुलाजिमत से अलग हो गए और इंजीनियरिंग के क्षात्राें केलिए कोचिंग सेंटर चाला रहे थे.
मंजु का कहना है कि ” मैं और मेरे शौहर दोनों किताबों से बे पनाह मुहब्बत करते हैं और उसी कारन हमारी देरिना ख्वाहिश थी कि एक बुक शॉप खोलें, जहां हर किस्म की किताबों का बड़ा जखीरा हो जिस से किताब दोस्त तबके की जरूरियात पूरी हो सके ” पस उन्होंने अल्वा में सड़क के किनारे अपनी ऐक ज़मीन पर इस अनोखी दुकान की तामीर कारवाई.
जब उनसे पूछा गया कि इमारत के उपरी हिस्से में जिन चार किताबों की इमेज आपने दी है क्या उनका इंतखाब जान बुझ कर किया है? तो उन्होंने कहा कि हमने तो दस किताबों का इंतिखाब किया था मगर कलाकार और बिल्डिंग बनाने वाले लोगों ने रंगों के मिलाप और साईज वगैरह के पेश ए नज़र इन्हीं चारों का इंतखाब किया.
इस बिल्डिंग की डीजाइनिगं और तामीर राय थॉमस और के के विनोद नामी दो स्थानीय कलाकारों के ज़रखेज़ ज़हनों का नतीजा है.
पाउलो कोइलहो के पास इस इमारत की तस्वीर कैसे पहुंची? इस सवाल के जवाब में वो कहते हैं कि हकीकत में हमें भी नहीं मालूम के उन्हें उसकी तस्वीर कैसे और कहां से मिली, चूँकि इमारत सड़क के किनारे है और उसका तर्ज़ ए तामीर ऐसा दिलचस्प है कि पहली बार जो भी देखेगा अपने पास उसकी तस्वीर महफ़ूज़ करने की सोचेगा, अपने और सोशल मीडिया का इस्तेमाल आम है तो ऐन मुमकिन है के किसी ने उसकी तस्वीर लेकर सोशल मीडिया पर डाली हो और उस पर पाउलो की नजर पड़ी हो और चूंकि चार किताबों में से ऐक खुद उनकी किताब भी है तो फितरी तौर पर उन्हें ये तस्वीर और भाई होगी, इसलिए उन्होंने इसे अपने सोशल मीडिया पर शेयर किया.
इस पुस्तकालय की स्थापना इसी माह जुलाई के आगाज़ में हुआ है, इसमें फ़िलहाल अंग्रेजी, मलयालम और हिंदी की किताबें जमा की गयी हैं, अजी कुमार और मंजू दुनिया भर के पब्लिशर की अच्छी किताबें अपने यहां इकट्ठा करने केलिए पुर आजम हैं, इस बुक शॉप से किताबें खरीदने के अलावा वहाँ बैठ कर पढ़ी भी जा सकती हैं मगर बैठ कर पढ़ने का इंतजाम कोरोना खत्म होने के बाद किया जाएगा, बच्चों की किताबों केलिए ऐक गोशा खास किया गया है, जहां से बच्चों पर लिखी हुई किताबें खरीद सकते हैं और बच्चे चाहें तो वहाँ बैठ कर पढ़ भी सकते हैं, अंदर का मंजर आम किताबों की दुकानों से बिल्कुल अलग और खूबसूरत है, किताबों को तरतीब से रखने केलिए बुक शेल्फ और बल्ब के ऊपर छत्री भी किताबों की शेप में बनाई गयी है, किंतु किताबों की ये दुकान अपने आप में फन ए तामीर का ऐक शाहकार है और किताबों से बिदकने वाला इंसान भी अगर वहाँ पहुँच जाए तो उसके अंदर किताब दोस्ती का ज़ौक़ व शौक़ पैदा हो सकता है, मैंने आज तक केरल का सफर नहीं किया मगर अब ज़रूर करना है और इन्हीं दो जगहों को देखने के लिए करना है. इंशाअल्लाह।