किसान आंदोलन के समर्थन में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी शुक्रवार को दो दिन के दौरे पर राजस्थान जाएंगे। वे यहां 5 जिलों में सभाएं और ट्रैक्टर रैली में शामिल होंगे। राहुल इस दौरान मंदिर भी जाएंगे। जानकार राहुल के दौरे को एग्रो-स्प्रीच्युअल पॉलिटक्स का नाम दे रहे हैं। सॉफ्ट हिंदुत्व मॉडल के तहत राहुल गांधी टेंपल रन की तरफ लौटे हैं।
राहुल गांधी हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, सूरतगढ़, नागौर और मकराना में सभाएं करेंगे। रूपनगढ़ में वे ट्रैक्टर रैली में शामिल होंगे। राहुल किशनगढ़ में लोक देवता तेजाजी के बलिदान स्थल सुरसुरा में पूजा-अर्चना करेंगे। इधर, नए कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब-हरियाणा के किसान सिंघु बॉर्डर पर पिछले 78 दिन से प्रदर्शन कर रहे हैं। अब किसानों ने यहां लंबे समय तक रुकने के लिए जरूरी सुविधाएं जुटाना शुरू कर दिया है। साथ ही किसानों ने ऐलान किया है कि आने वाले दिनों में दूसरे राज्यों को भी आंदोलन से जोड़ने के लिए देशभर में महापंचायतें की जाएंगी।
किसानों ने आंदोलन की जगह पर CCTV लगाए
26 जनवरी को हुई हिंसा के बाद किसान सतर्क हैं। आंदोलन में शामिल दीप खत्री कहते हैं, ‘हम कम्युनिकेशन की सुविधा बढ़ा रहे हैं और रहने का इंतजाम कर रहे हैं। सुरक्षा और बाहरी लोगों को अलग रखने के लिए 100 CCTV लगाए जा रहे हैं। हमारे 600 वॉलंटियर्स पैट्रोलिंग में लगे है। इन्हें ट्रैफिक संभालने और रात में निगरानी की जिम्मेदारी दी गई है। सभी को पहचान के लिए हरे रंग की जैकेट और ID कार्ड भी दिया गया है।’
भाषण सुनने के लिए स्क्रीन और गर्मी के लिए AC
खत्री ने बताया कि आंदोलन में मौजूद सभी लोग किसान नेताओं के भाषण सुन पाएं, इसके लिए 10 अलग-अलग पॉइंट पर बड़ी साइज की LCD स्क्रीन लगाई जा रही है। इन्हें 700 से 800 मीटर की दूरी पर लगाया जा रहा है। वहीं, गर्मी को देखते हुए पंखे और AC की व्यवस्था भी की जा रही है।
18 फरवरी को रेल रोको आंदोलन करेंगे किसान
किसान नेताओं ने 18 फरवरी को देशभर में रेल रोको आंदोलन का ऐलान किया है। राजस्थान में 12 फरवरी से टोल फ्री करने का ऐलान भी किया गया है। किसान नेताओं और सरकार के बीच अब तक 11 बार बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन मुख्य मुद्दों पर सहमति नहीं बन पाई। संयुक्त किसान मोर्चा ने साफ कर दिया है कि जब तक सरकार कानून नहीं वापस ले लेती और MSP की गारंटी नहीं दे देती, तब तक वे लौटने वाले नहीं हैं। आंदोलन के दौरान अब तक 70 किसानों की मौत हो चुकी है। कुछ ने खुदकुशी की, तो कुछ की जान बीमारी या ठंड से गई।
(inputwww.bhaskar.com)