नई दिल्ली:किसानों से बातचीत के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से बनाई गई कमेटी से एक सदस्य के खुद को अलग होने पर सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की है। एक अन्य मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोगों को समझने में कुछ भ्रम है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समिति का हिस्सा होने पहले एक व्यक्ति की कोई राय हो सकती है, लेकिन उसकी राय बदल भी सकती है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि सिर्फ इसलिए कि एक व्यक्ति ने इस मामले पर विचार रखा, वह समिति का सदस्य होने के लिए अयोग्य नहीं हो सकता है। चीफ जस्टिस ने कहा कि कमेटी के सदस्य कोई जज नहीं होते हैं। कमेटी के सदस्य केवल अपनी राय दे सकते हैं, फैसला तो जज ही लेंगे।
बता दें कि कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति के प्रमुख सदस्य अनिल घनवट ने मंगलवार को कहा कि विभिन्न हितधारकों से कृषि कानून पर बातचीत करने के दौरान समिति के सदस्य अपनी निजी राय को हावी नहीं होने देंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि वे किसी पक्ष या सरकार के पक्ष में नहीं हैं।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 11 जनवरी को चार सदस्यीय समिति का गठन किया था लेकिन प्रदर्शनकारी किसानों ने नियुक्त सदस्यों द्वारा पूर्व में कृषि कानूनों को लेकर रखी गई राय पर सवाल उठाए। इसके बाद एक सदस्य भूपिंदर सिंह मान ने खुद को इससे अलग कर लिया है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से बनाई गई समिति की पहली बैठक मंगलवार को हुई। एक सदस्य के निकल जाने के बाद अब इसमें तीन सदस्य अशोक गुलाटी, अनिल घनवत और प्रमोद जोशी हैं।
बता दें कि दिल्ली की सीमा पर हजारों की संख्या में किसान करीब दो महीने से नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। केंद्र सरकार और प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच भी नौ दौर की अलग से बात हुई थी लेकिन मुद्दे को सुलझाने की यह पहल बेनतीजा रही।
(इनपुट www.livehindustan.com)