हिंदी अनुवाद: आरिफ़ा मसूद अंबर
कुछ सच्चाईयां एक जैसी लगती हैं۔ तीन कानून का मामला भी कुछ इसी प्रकार का है कि माननीय प्रधानमंत्री जी और अमित शाह पीछे हटने को तैयार नहीं है- उनका मानना है कि मेरा कानून सबसे सुंदर – और किसान कह रहे हैं कि इस कानून में हमारी तबाही हमारे विनाश के पृष्ठ छिपे हुए हैं , 80 से अधिक किसान मर चुके हैं और हजारों की संख्या में इस कड़कड़ाती ठंड में मरने के लिए तैयार बैठे हैं, अदालत सुप्रीमो बोर्डे साहब आर एस एस की विचारधारा वाले व्यक्ति हैं वह पहले भी बयान दे चुके हैं की अदालत को सरकार का साथ देना चाहिए -अब सुप्रीम कोर्ट ने तीन कानून को होल्ड पर रखा है -खत्म नहीं किया है और होल्ड पर रख कर ऐसी कमेटी बना दी जिसमें सब मोदी के ही समर्थक हैं -अब यह अनपढ़ किसान तो हैं नहीं जो अदालत के बहकावे को ना समझ पायें- हो ना हो यह कोशिश ट्रोजन के युद्ध वाली है, क़िस्सा भी सुन लीजिए, युद्ध पर कभी विराम नहीं लगता युद्धों से एक नई सभ्यता जन्म लेती है , और इस सभ्यता में युद्ध के नए पृष्ट लिखे होते हैं- यह युद्ध भूत की विरासत को अपने कंधों पर नहीं ढोया करते- चंगेज ,हलाकू ,नादिर शाह ….युद्ध की सभ्यता हर बार नये हलाकू को जन्म दे देती है हर बार नया चंगेज और नया नादिरशाह पैदा हो जाता है – हज़ार वर्ष का इतिहास भी यही था ,अगर गौ़री चाहता तो ईरान के समीप पारसियों की आतिश कदा (ईरान का पहला मंदिर) को नष्ट कर सकता था मगर उसे वहां क्या मिलता- यहां हमारे देश भारत में सोमनाथ का मंदिर था जो सोने और हीरे जवाहरात से भरा हुआ था धर्म के हजार रंग और इनमें सबसे गहरा कट्टरपंथी – और यह कट्टरपंथिता दोनों ओर से जारी है …..बड़े युद्धों के बीच छोटे युद्ध चलते रहते हैं आजादी के 72 वर्ष बाद भी यह युद्ध जारी हैं -परंतु यह युद्ध अब धार्मिक दंगों में बदल चुके हैं- इन दंगों में कौन मारा जाता है? पुलिस किस कानून के तहत काम करती है? सरकार की विचारधारा क्या रहती है? एक सभ्य समाज में ऐसे हजारों प्रश्न हमारे मस्तिष्क पटल पर चोट मारते रहते हैं- हमारे मन को विचलित करते रहते हैं, यह सब क्यों हो रहा है? कौन करा रहा है? और ख़ासकर यह दंगे जो हमारे भागते दौड़ते जीवन का एक हिस्सा बन गए हैं।
तुम्हें ट्रोजन का युद्ध याद है? मेरी अंतरात्मा मुझसे प्रश्न करती है? यूनानीयों ने युद्ध में विजय प्राप्त की और ट्रॉय को जलाकर राख कर दिया, यह जीत का नशा भी अजीब होता है ,कुछ ही ट्रोजन इस युद्ध में जिंदा बच पाए थे। इनमें एक प्रसिद्ध योद्धा भी शामिल था जिसने बाद में रोम शहर की बुनियाद रखी ट्रॉय का युद्ध प्रेम के लिए लड़ा गया था, प्रेम जो धीरे-धीरे शत्रुता में बदल गया । ट्रॉय का युद्ध हेलेन के लिए हुआ था एक युद्ध जो 21 ईसवी और 31वीं शताब्दी मसीह के बीच लड़ा गया था…. प्राचीन यूनानी कथाओं के मुताबिक देवता यलयूस का विवाह समुंदर की देवी से तय हुआ ,सम्राट इस समारोह में एयिरस को निमंत्रण देना भूल गए, इस समारोह में बहुत सी सुंदर स्त्रियां मौजूद थीं, एयिरस की देवी ने देवता यलयूस से बदला लेने की तैयारी की, और मन ही मन कहा कि तुम्हारी हिम्मत को मैं विनाश में बदल दूंगी ।वह बिन बुलाए इस समारोह में शामिल हुई ,और उसने सोने का एक सेब वहां मौजूद स्त्रियों में फेंका जिस पर लिखा था उस चेहरे के लिए जिस से ज़्यादा सुंदर चेहरे की कल्पना भी न की जा सके।
इस लेख को पढ़कर उन स्त्रियों के बीच ख़ुद को सबसे सुंदर साबित करने का मुकाबला शुरू हो गया ,इनमें कई देवियां शामिल थी एक देवी का नाम हीरा था यह आकाश की देवी थी -एक देवी एथीना थी जो तत्वज्ञान विद्या की देवी थी -एक देवी इफ़रोदितिया जो प्रेम की देवी थी- और तीनों देवियां प्रेम के ताज को अपने सर पर सजाना चाहती थी एक कहती मैं प्रेम हूं जिसकी आवश्यकता सभी को होती है ,दूसरी कहती मैं विद्या हूं जिसकी प्रेम और हुकूमत दोनों को आवश्यकता होती है और तीसरी कहती मैं आकाश की देवी हूं और सुंदरता के शिखर पर विराजमान हूं -जब इन तीनों के बीच मतभेद पड़ा तो ट्रॉय की राजा ने फ़ैसले की ज़िम्मेदारी अपने पुत्र को सौंप दी ।प्रेम ने विद्या की ओर देखा ,और विद्या ने आकाश की ओर , प्रेम को विश्वास था यह ताज उसके सर पर ही सजेगा। ट्रॉय के सम्राट ने फैसला करते हुए इस बात की ओर ध्यान न दिया की प्रेम मार्ग में भयानक विनाश का भी हस्तक्षेप होता है। प्रेम अकसर जीत कर भी हार जाता है ।जिस समय सम्राट के पुत्र ने फैसला सुनाया उस समय प्रेम की देवी हेलेन के वस्त्र धारण किए हुए हेलेन की सूरत में थी। उस समय हेलेन को दुनिया की सबसे सुंदर स्त्रियों में गिना जाता था। हेलेन स्पार्टा के सम्राट की पत्नी थी, और इस समय दुनिया की सबसे सुंदर स्त्री मानी जाती थी। ट्रॉय के सम्राट का पुत्र जिस ने फैसला सुनाया था स्पार्टा के सम्राट से मिला उसका अतिथि बनकर महल में ठहरा और उसकी पत्नी हेलेन को भगाकर ट्रॉय ले आया। स्पार्टा ने यूनानी राजकुमारों से सहायता मांगी और हेलेन को वापस लाने का निश्चय कर लिया। यूनानी सेना ने ट्रॉय पर आक्रमण कर दिया । युद्ध वर्षों तक चलता रहा ट्राय के राजकुमार ने अपोलो से सहायता मांगी लेकिन यूनानियों की मक्कारी के आगे ट्राय की सेना कमजो़र पड़ गई । यूनानियों ने जीत के लिए लकड़ी के घोड़े तैयार किए और यह ट्रोजन शहर की सीमाओं के चारों ओर खड़े कर दिए। ट्रॉय के लोगों ने समझा कि यूनानियों ने ज़बरदस्त तैयारी के साथ आक्रमण कर दिया ,और यूनानियों की सेना ट्रॉय में प्रवेश कर चुकी है ।ट्राय की सेना ने हथियार डाल दिए ,और हेलेन को आज़ाद करा लिया गया। महल की स्त्रियां बंदी बना ली गईं, और बहुत से ट्रोजन पुरुषों की नाक काट दी गई। सुप्रीम कोर्ट का बयान लकड़ी का घोड़ा है और हेलेन ‘तीन कानून’ परंतु यह तीन कानून हेलेन के जितने सुंदर नहीं हैं। इस बार लकड़ी का घोड़ा काम नहीं आया सरकार की कोशिश थी कि किसानों को लकड़ी के घोड़े से मूर्ख बना दिया जाए ,मगर यह ट्रोजन का युद्ध नहीं आज के किसान हैं और इनमें अधिकतर संख्या पढ़े-लिखे किसानों की है। सरकार भूल गई इस बार युद्ध 70% अन्नदाताओं से है।यह शाहीन बाग़ के मुसलमान नहीं हैं और शाहीन बाग़ के मुसलमानों ने भी संघर्ष उस समय बंद किया जब बीच में लकड़ी का घोड़ा यानी कोरोनावायरस आ गया।