नई दिल्ली: कृषि आंदोलन के खिलाफ चल रहा किसान आंदोलन शुक्रवार को अपने 44वें दिन में प्रवेश कर चुका है. शुक्रवार को फिर किसानों और सरकार के बीच इन कानूनों पर बातचीत होगी. इसके पहले किसान नेता सात बार सरकार से मिल चुके हैं. चूंकि किसानों की सीधी मांग इन कानूनों को वापस लेने की है, ऐसे में मामले पर अभी तक कोई हल नहीं निकल सका है क्योंकि सरकार ये कानून वापस लेने को राजी नहीं है. उसने संशोधनों का प्रस्ताव रखा है लेकिन किसान संगठनों ने साफ कर दिया है कि वो इन कानूनों को पूरी तरह खत्म किए जाने की मांग पर अड़े हैं.
बता दें कि किसान संगठनों ने गुरुवार को दिल्ली के आसपास के इलाकों में ट्रैक्टर रैली निकाली थी. किसानों का दावा है कि कल हुए ट्रैक्टर मार्च में 10000 ट्रैक्टरों ने लिया भाग था. उनकी धमकी है कि अगर तीनों क़ानून रद्द नहीं हुए तो 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर मार्च करेंगे. प्रमुख किसान नेता राकेश टिकैत ने कल कहा था कि राजपथ पर 26 जनवरी को टैंक और ट्रैक्टर दोनों देखने को मिलेंगे.
सातवें राउंड के बाद दोनों ही पक्ष अपने-अपने रुख पर और सख्त हो गए लगते हैं. इस बातचीत के बाद जहां किसानों ने ट्रैक्टर रैली निकाली, वहीं नरेंद्र तोमर ने बुधवार को पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के पोते संजय नाथ सिंह से मुलाकात की थी, जो इन कानूनों का समर्थन कर रहे हैं. संजय नाथ सिंह ने कहा कि शास्त्री जी किसानों के हित में MSP सिस्टम लेकर आए थे लेकिन कृषि अर्थव्यवस्था के बदलने के चलते आज किसानों को अपनी फसल को अपनी मर्जी से बेचने की आजादी मिलनी चाहिए.
(input khabar.ndtv.com)