असदुद्दीन ओवैसी और ओम प्रकाश राजभर का गठजोड़ राज्य में 2022 विधानसभा चुनाव की दिशा तय करने में बड़ी भूमिका निभाने की तरफ बढ़े तो हैरत नहीं। दस दलों के भागीदारी संकल्प मोर्चा के मंसूबे सफल हुए तो सपा और भाजपा दोनों की बाजी कई सीटों पर उलटने-पलटने की बन सकती है। पूर्वांचल की दर्जनों सीटें ऐसी होंगी जहां पर यह मोर्चा यदि सीधे मुकाबले में दिखे तो बहुत आश्चर्य नहीं होगा। ये जिले बलिया, मऊ, आजमगढ़, अंबेडकरनगर, बहराइच हो सकते हैं।
ओवैसी जहां समाजवादी पार्टी के मुसलिम वोटरों के बीच मुसलमान प्रत्याशी उतारकर सेंधमारी करेंगे वहीं ओम प्रकाश राजभर और अन्य सहयोगी दल जो पिछड़ी-अति पिछड़ी जातियों की राजनीति करते हैं, भाजपा को नुकसान पहुंचाने का काम करेंगे। असल में यह मोर्चा सपा या भाजपा में से किसको अधिक नुकसान या फायदा पहुंचाएगा यह तो चुनावी बिसात पूरी तरह बिछने के बाद ही सही तरीके से मालूम हो सकेगा लेकिन मोर्चा के दलों के जातीय समीकरण से साफ है कि उनको जोड़ने पर बहुत बड़ा वोटबैंक इससे जुड़ सकता है।
मोर्चा के नेता 65 फीसदी वोटरों की राजनीति करने का दावा करते हैं, इतना ना भी मानें तो मोर्चा जिन जातियों की बात कर रहे हैं। वह 40 फीसदी के आसपास हो सकती है। बलिया से बहराइच तक पूर्वांचल के हिस्से में मुसलमानों के साथ राजभर, पाल, चौहान, प्रजापति, कुशवाहा, बियार, नाई और गोंड़ जातियां इस मोर्चा की ताकत होंगी। माना जा रहा है कि इन जातियों का गठजोड़ इस बेल्ट में 40 से 45 फीसदी के बीच जाएगा।
वहीं हरदोई से गाजियाबाद तक अर्कवंशी, आरख, बंजारा, सैनी, शाक्य, कुशवाहा तथा मुसलमानों का बड़ा गठजोड़ इस मोर्चा की ताकत होगा। इस बेल्ट में इन जातियों की तादाद भी 40 फीसदी के आसपास मानी जा रही है। यहां बता दें कि जिन पिछड़ी जातियों की राजनीति यह मोर्चा कर रहा है उनमें से अधिकांश जातियां भाजपा के साथ मजबूती के साथ अब तक रही हैं। कुछ जातियां सपा और बसपा के साथ क्षेत्रवार दिखती हैं।
ओम प्रकाश राजभर (सुभासपा), असदुद्दीन ओवैसी (एआईएमआईएम), बाबू सिंह कुशवाहा (जनाधिकार पार्टी), प्रेम चंद्र प्रजापति (भागीदारी पार्टी), बाबू राम पाल (राष्ट्र दल पार्टी), अनिल चौहान (राष्ट्रीय क्रांति पार्टी भारतीय), साम सागर बिंद (भारत माता पार्टी), रामकरन कश्यप (भारतीय वंचित समाज पार्टी) तथा राजकुमार सैनी (लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी) इस मोर्चा के घटक हैं। मोर्चा की नजर इस तरह के अन्य दलों को भी साथ लाने पर है।