पटना: बिहार विधानसभा चुनाव के लिए बुधवार को पहले दौर की वोटिंग के पहले, एक के बाद एक, ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी (BJP), नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (JD-U) से दूरी बनाती जा रही है. दोनों ही पार्टियां समानांतर प्रचार अभियान (Parallel campaign) छेड़े हैं और इसमें एक-दूसरे का चुनाव चिह्न लगभग नदारद है. तेजस्वी यादव के होर्डिंग्सर में लालू-राबड़ी के फोटो नहीं होने पर सवाल उठाने वाले NDA के नेताओं के पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं है कि वह पीएम नरेंद्र मोदी के बड़े पोस्टरर दिखाकर एनडीए के लिए वोट क्योंव मांग रही रहे हैं और इसमें नीतीश कुमार का जिक्र क्योंे नहीं है. यहां तक कि सासाराम के अपने पहले भाषण में पीएम NDA की सरकार के लिए वोट देने की अपील करते रहे, बाद में उन्होंपने नीतीश के लिए वोट मांगे लेकिन कैमिस्ट्री ‘मिसिंग’ रही.
बीजेपी के नेता बताते हैं कि यह इरादतन है क्योंशकि पार्टी के पास इस बात का फीडबैक है कि सभी तरफ यहां तक कि बीजेपी समर्थकों के बीच भी नीतीश को लेकर असंतोष काफी ज्या दा है. नीतीश की साफसुथरी इमेज के बावजूद बीजेपी समर्थक भी नीतीश के लिए वोट करना नहीं चाहते क्योंकि प्रतिबंधों और सभी ऑफिसों में भ्रष्टाेचार के चलते सत्ताे विरोधी रुझान बढ़ता जा रहा है. हालांकि चिराग पासवान ने चुनाव मैदान में 135 प्रत्यावशी उतारकर एक विकल्पा रखा लेकिन बीजेपी इस बात को लेकर स्पदष्ट1 है कि जब तक पीएम मोदी के नाम पर वोट नहीं मांगे जाएंगे, एनडीए के लिए कोई चांस नहीं है क्यों कि फीडबैक यही है कि उनकी लोकप्रियता बरकरार है.
प्रवासी मजदूरों के मामले को हैंडल करने और आम लोगों के प्रति उदासीनता के चलते वोटर खासतौर पर नीतीश से नाराज हैं.और यही कारण है कि सुशील मोदी और रविशंकर प्रसाद के अलावा कोई अन्या बीजेपी नेता संयुक्तस प्रचार के लिए उपलब्धब नहीं बताया गया. नीतीश कुमार, जो कि अपनी छवि के आधार पर वोट हासिल करने को लेकर सहयोगी के अविश्वाोस का सामना कर रहे हैं, को अभी भी उम्मीोद है कि पीएम मोदी शेष नौ प्रचार भाषणों में उस भ्रम को दूर करने में सफल रहेंगे जिसे वे 23 अक्टूपबर के भाषण में दूर करने में नाकाम रहे थे.
नीतीश को अपने प्रत्यााशियों को लेकर स्थाेनीय बीजेपी नेताओं के असंतोष को लेकर काफी फीडबैक मिले लेकिन उनके प्रमुख सिपहसालार सुशील मोदी के कोरोना पॉजिटिव होने ने स्थिति को और बदतर बना दिया. नीतीश के समर्थक भी मानते हैं कि उनका सात निश्च्य: पार्ट वन जिसके अंतर्गत ‘हर घर में जल’ योजना के कमजोर क्रियान्वायन ने इस बार मामले को और खराब किया है. इसके साथ ही भ्रष्टांचार के मुद्दे से निपटने में उनकी नाकामी ने हालात को और बदतर बनाने का काम किया है.
(इनपुट khabar.ndtv.com)