हाजरा नूर ज़रयाब, अकोला,महाराष्ट्रा
क्या करना है क्या नही करना,बातें सारी जानती हूँ
इक औरत हूँ, अपने घर की ज़िम्मेदारी जानती हूँ
लोग समझते हैं के मुझ को क़ायल कर लेंगे ,लेकिन
सब का नुस्ख़ा रखती हूँ, सब की बीमारी जानती हूँ
सादा सादा लाफ्ज़ों से लेना है काम बड़ा मुझ को
शेर की सूरत क्या कहना है,यह फ़नकारी जानती हूँ
घर के अंदर रह कर भी वाकिफ़ हूँ दिफ़ाई हर्बों से
दुश्मन की चालें सारी उसकी तईयारी जानती हूँ
रहबर और रहज़न का फर्क़ मुझे मालूम है हाजरा नूर
बेटी हूँ ज़रयाब अकोला की हुश्यारो जानती हूँ