बिहार विधानसभा चुनाव में महज ढाई महीने का वक्त बचा है और इसको देखते हुए सभी नेता सुरक्षित ठिकाना तलाशने में जुटे हैं। ऐसे में पिछले कई दिनों से परेशान चल रहे पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतनराम मांझी जल्द महागठबंधन का दामन छोड़ सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक जदयू से उनकी डील लगभग फाइनल हो चुकी है। जदयू अपने कोटे की 5 से 6 सीटें मांझी को दे सकता है। बताया जा रहा है कि इस माह के अंत तक मांझी एनडीए में शामिल हो जाएंगे।
पार्टी प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा कि राजनीति संभावनाओं का खेल है। कोरोनाकाल में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जिस तरह काम किया है वह काबिले तारीफ है। नीतीश कुमार से बेहतर कोई चेहरा नहीं है। हालांकि, यह अभी तय नहीं हुआ है कि ‘हम’ एनडीए के साथ जाएगी। वक्त आने पर जीतनराम मांझी उचित फैसला लेंगे।
राजद से नाराज चल रहे हैं मांझी
पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में महागठबंधन को करारी हार मिली थी। इसके बाद से ही मांझी राजद से नाराज चल रहे हैं। वह कई बार कोऑर्डिनेशन कमेटी बनाने की मांग कर चुके हैं लेकिन राजद इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा। पिछले महीने भी मांझी ने अल्टीमेटम दिया था कि उनकी मांगों पर विचार नहीं किया गया तो वे जल्द बड़ा फैसला ले सकते हैं। इसके बाद भी राजद ने मांझी की बातों को दरकिनार कर दिया। सूत्रों के मुताबिक मांझी एनडीए में शामिल होने के लिए सही वक्त का इंतजार कर रहे हैं।
चिराग की वजह से खुला मांझी का रास्ता
बिहार में दलितों का बड़ा वोटबैंक लोजपा के पास है। पिछले दिनों लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान कई मुद्दों को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमलावर रहे हैं। जदयू कुछ दिन तो शांत रही लेकिन फिर इधर से भी जुबानी हमले होने लगे। चिराग के बयान से जदयू काफी असहज महसूस कर रही है। जदयू को इस बात का भी डर का है कि दलित वोटर उनसे नाराज न हो जाएं। सूत्रों के मुताबिक जदयू ने इसी वजह से दलित नेता जीतनराम मांझी को अपने पाले में लाने का फैसला किया है।
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