नई दिल्ली:प्रेमी के अपने परिवार के सात सदस्यों को मौत के घाट उतारने वाली बावनखेड़ी अमरोहा की शबनम को फांसी कब लगेगी, इसका पता तो आने वाले समय में अदालत द्वारा जारी किए जाने वाले डेथ वारंट के बाद चलेगा लेकिन जेल अधिकारी इसकी तैयारी में लगे हुए हैं। ऑर्डर दे दिए जाने के बाद बक्सर जेल से आने वाले रस्सों को रखने, कीटाणुओं और चूहों से बचाने के इंतजाम जेल में किए जा रहे हैं।
बक्सर जेल प्रशासन को दो रस्सों का ऑर्डर दिया जा चुका है। फांसी के फंदे आने के बाद उन्हें कैसे और कहां रखा जाएगा इसका इंतजाम करने में जेल प्रशासन फिलहाल जुटा हुआ है। रस्सों को मिट्टी के घड़े में मधु मक्खी और देशी घी का लेपन कर रखा जाएगा। रस्सों में कीटाणु नहीं पनपें और उन्हें चूहे ना कुतर दें, इसके लिए उन पर कार्बोनिक एसिड भी लगाया जाएगा। मटकों को सील आदि से बचाने के लिए सुरक्षित स्थान पर रखा जाएगा। इन सभी व्यवस्थाओं को जेल प्रशासन समय रहते पूरा करने में जुटा है। क्योंकि डेथ वारंट जारी होते ही फांसी की तिथि भी मुकर्रर कर दी जाएगी। ऐसे में तैयारी पूरी नहीं हुई तो जेल प्रशासन की फजीहत होगी। यही वजह है, कि जेल प्रशासन शबनम की फांसी की तिथि घोषित होने से पूर्व अपनी सभी तैयारियां पूरी कर लेना चाहता है।
जेल नियमावली में फांसी के फंदे की समय सीमा तय की गई है। फंदे के निर्माण को यदि पांच वर्ष से अधिक का समय हो जाता है, तो उसे फांसी देने योग्य नहीं माना जाता। उसे नष्ट करा दिया जाता है और फांसी के लिए दूसरे नये रस्से की व्यवस्था करनी होती है। इसके लिए रस्से पर बाकायदा एक चिप्पी लगाई जाती है, जिस पर रस्से के निर्माण की तिथि दर्ज होती है।
जेल में कैदी को फांसी दिए जाने से पूर्व सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम रहेंगे। फांसी की प्रक्रिया शुरू होने से पूरी होने तक जेल के मुख्य गेट पर सशस्त्र रक्षक तैनात किए जाएंगे, जो गोला बारूद से लेस होंगे।
कैदी को फांसी दिए जाते वक्त जेल नियमावली के अनुसार जिला मजिस्ट्रेट या उनके द्वारा प्रतिनियुक्त किया गया द्वितीय श्रेंणी की शक्यिों का अधिकारी वहां मौजूद रहेगा। इन अधिकारियों को फांसी दिए जाने वाले स्थान पर सूर्योदय से पहले पहुंचना अनिवार्य होगा।
फांसी की प्रक्रिया से पूर्व शाम को फांसी दिए जाने के तख्ते, लीवर आदि की जांच जेल अधीक्षक द्वारा की जाएगी। फांसी के तख्ते को गिरा कर देखा जाएगा। बोरे को तख्ते पर रखी तिपाई के उपर रख कर दो मन बालू से भरे बैग को गिराकर रस्सी से लटकाया जाएगा। इसके बाद रस्सी को जेलर द्वारा सुरक्षित स्थान पर रखवा दिया जाएगा।
शबनम अकेली महिला नहीं है, जिसे फांसी की सजा हुई है। उसके अलावा हरियाणा की सोनिया और महाराष्ट्र की रेणुका और सीमा के नाम भी इनमें शामिल हैं। इन सभी का अपराध इतना संगीन है कि राष्ट्रपति ने भी इनकी दया याचिका को ठुकरा दिया है।
जेल नियमावली में फांसी की सजा को लेकर जो प्रावधान किए गए हैं, उनके तहत हम अपनी तैयारी कर रहे हैं। प्रदेश में एकमात्र महिला फांसीघर मथुरा जेल में है। तैयारी नियमानुसार पूरी की जा रही है। शबनम को फांसी कब लगेगी इसका पता तो उसका डेथ वारंट जारी होने के बाद ही चलेगा।
(इनपुट www.livehindustan.com)