मस्जिद की ज़मीन पर मंदिर के निर्माण से निस्र्त्साहित न हों मुसलमान
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए कल होने वाले भूमि पूजन पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सख़्त प्रतिक्रिया दी है.बोर्ड ने कहा है कि बाबरी मस्जिद,मस्जिद थी और हमेशा मस्जिद रहेगी.वास्तविकता एक कमजोर कब्जे के साथ समाप्त नहीं होती है.सुप्रीम कोर्ट ने फैसला जरूर दिया है लेकिन न्याय को शर्मसार किया है.बोर्ड ने अपना स्टैंड फिर दोहराते हुए कहा है कि शरीयत की रौशनी में जहां एक बार मस्जिद क़ायम होती है,वह क़यामत तक मस्जिद रहती है.लिहाज़ा,बाबरी मस्जिद कल भी मस्जिद थी,आज भी मस्जिद है.मस्जिद में मूर्तियां रख देने से ,पूजा पाट शुरू कर देने से या एक लंबे अर्से तक नमाज़ पर रोक लगा देने से मस्जिद की हैसियत ख़त्म नहीं हो जाती.
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना मोहम्मद वली रहमानी ने आज एक बयान जारी कर कहा कि हमारा हमेशा से स्टैंड रहा है कि बाबरी मस्जिद किसी मंदिर या किसी हिंदू धर्म स्थल को तोड़ कर नहीं बनायी गयी.सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने फैसले में हमारे इस स्टैंड की पुष्टि की है.बोर्ड ने हिंदुस्तानी मुसलमानों से अपील की है कि मस्जिद की ज़मीन पर मंदिर के निर्माण से हरगिज़ भी निस्र्त्साहित न हों.हालात चाहे जितने ख़राब हों,हमें हौसला नहीं हारना चाहिये और अल्लाह पर भरोसा रखना चाहिये.मालूम हो कि बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर की आधारशिला रखेंगे.