फुलवारी शरीफ पटना :
इमारत ए शरिया बिहार, उडीसा वा झारखंड ने नमाज़ ए नमाज़ ए ईद-उल-अज़हा और कुर्बानी से मुताअल्लिक निम्नलिखित हिदायात जारी की हैं.
1.ये बात वाजेह रहनी चाहिए के यहां दो अलग अलग ईबादतें पहली इबादत नमाज़ की अदायगी और दूसरी इबादत कुर्बानी है, दोनों वाजिब हैं.
2.ईद-उल-अज़हा की नमाज़ वाजिब है लिहाजा मौजूदा हालात में भी कोरोना वाइरस से हिफाज़त के सिलसिले में दी गयी सरकारी अनुदेश का पालन करते हुए ज़रूर अदा करें.
3.ईदगाह और मसाजिद में सरकार की जानिब से बड़े इजतिमा की इजाज़त ना मिलने की सूरत में ईद की नमाज़ की तरह ईद-उल-अज़हा को भी अदा करें.
4.सफ्बंदी में दूरी का ख्याल रखा जाए.
5.सिर्फ़ नमाज़ और खुतबा पर इकतीफा किया जाए.
6. हाथ और गले मिलने से परहेज़ करें.
दूसरी इबादत कुर्बानी है.
1.कुर्बानी हर साहब ए निसाब मुसलमान पर वाजिब है और शआइर ए इस्लाम में से है, ये बात चलाई जा रही है के कुर्बानी के बदले गरीबों को रकम दे दी जाए, ये बिल्कुल गलत सोच है, जिस शख्स पर कुर्बानी वाजिब है उस वाजिब के बदले सदका करना या किसी की मदद करना वाजिब को छोडऩा है, जो ग़लत है, जहां भी गुंजाईश हो वहाँ कुर्बानी ज़रूर की जाए.
2.इस मौक़े से सफाई सुथराई का पूरा इहतिमाम करें और कुर्बानी के फ़ज़लात यानी खून, गलाजत, खाल और औझड़ि वगैरह ऐसी जगह ना डालें जिस से किसी को तकलीफ हो और वो किसी फितने का सबब बने.
3.कुर्बानी पर्दा के मकाम पर करें और इसकी गंदगी को किसी महफ़ूज़ मकाम पर गढ़ा खोद कर दफन कर दिया जाए ताकि किसी की कराहीयत का सबब भी ना बने.
4 कुर्बानी की जगह पर भीड़ ना लगाएं, कुर्बानी इबादत है, तमाशा नहीं है.
5. कुर्बानी के जानवर का चर्म किसी मदरसा या दिनी इदारह में देने की सहूलत हो तो ज़रूर दिया जाए, वर्ना चमड़े को बेच कर उसकी कीमत इदारह को पहुंचा दी जाए.