नयी दिल्ली : कोरोना संकट के बीच सरकारी नौकरियों में प्रतंबित की अफवाहों के बाद वित्त मंत्री ने साफ कर दिया है कि इस बात में कोई सच्चाई नहीं है. वित्त मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि भारत सरकार के किसी भी पदों को भरने पर कोई भी प्रतिबंध नहीं है. कर्मचारी चयन आयोग, यूपीएससी, आरएलवी भर्ती बोर्ड जैसे सरकारी एजेंसियों के माध्यम से समान्य भर्तियां पहले की तरह ही जारी रहेंगी.
वित्त मंत्रालय ने बताया कि 4 सितंबर 2020 को जारी मंत्रालय के व्यय परिपत्र पदों के निर्माण के लिए आंतरिक प्रक्रिया से संबंधित है. यह किसी भी तरह से भर्ती को न तो प्रभावित करता है और न ही रद्द करता है. नियुक्ति को लेकर यह बयान फाइनेंस मिनिस्ट्री को इसलिए भी जारी करना पड़ा क्योंकि पदों पर नियुक्ति को लेकर अलग- अलग तरह की खबरें सोशल मीडिया पर चल रही थीं.
वित्त मंत्रालय ने भी स्पष्ट तौर पर कहा ता कि व्यय विभाग की अनुमति से नए पदों का सृजन किया जा सकता है. मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि यदि 1 जुलाई, 2020 के बाद यदि कोई नया पद बनाया गया है, जिसके लिए व्यय विभाग की मंजूरी नहीं ली गई है, और इस पर यदि नियुक्ति नहीं हुई है, तो इसे रिक्त ही रखा जाए. अगर इन पदों पर नियुक्ति बेहद जरूरी है, तो इसके लिए व्यय विभाग की मंजूरी लेना आवश्यक होगा .
इसमें यह भी लिखा गया है कि संबंधित मंत्रालय और विभाग स्वयं के द्वारा नियुक्त व्यक्तिगत सलाहकारों की समीक्षा करके उनकी संख्या कम करने की तरफ ध्यान दें उनके मिलने वाला वेतन उनके काम की गुणवत्ता के आधार पर ही किया जायेगा. स्थापना दिवस सहित ऐसे आयोजन जो खर्च बढ़ाते हैं उन्हें कम करने का आदेश दिया गया है. विदेश से आयातित कागज पर बुक व डॉक्यूमेंट के प्रकाशन पर भी अपवाद को छोड़कर रोक लगाय गयी है.
सरकारी नौकरियों में प्रतिबंध की उड़ती अफवाहों के बाद राहुल गांधी ने ट्वीट किया था और मोदी सरकार पर बड़ा हमला किया था. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि मोदी सरकार की सोच न्यूनतम सरकारी और अधिकतम निजीकरण की योजना की है. उन्होंने आगे लिखा कि कोविड तो बस बहाना है, सरकारी दफ़्तरों को स्थायी ‘स्टाफ़-मुक्त’ बनाना है, युवा का भविष्य चुराना है, ‘मित्रों’ को आगे बढ़ाना है.
(prabhatkhabar.com)