अगले साल उत्तर प्रदेश समेत 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) समेत अन्य कई दलों के लिए उत्तर प्रदेश एक अहम राज्य है। खासकर पश्चिम बंगाल में मिली हार के बाद भाजपा काफी सतर्क हो गई है और भविष्य में होने वाले चुनाव को लेकर पार्टी कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है। महंगाई वो मुद्दा है जिसपर भाजपा इस वक्त जनता के गुस्से का सबसे ज्यादा सामना कर रही है। दीपावली के मौके पर आम आदमी को पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों पर आंशिक राहत देकर बीजेपी ने जनता के इस आक्रोश को कम करने की कोशिश की है। पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले वैट में कमी करने के बाद अब भाजपा को महंगाई के मुद्दे पर थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद है।
पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाने के केंद्र सरकार के ऐलान के बाद तुरंत योगी सरकार ने राज्य में तेल के दामों में कटौती कर दी। इतना ही नहीं यूपी सरकार ने तो मुफ्त राशन योजना को भी होली तक बढ़ाने का ऐलान कर दिया है। बुधवार को यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि केंद्र सरकार के मुफ्त राशन योजना को राज्य सरकार ने होली यानी अगले साल मार्च तक चालू रखने का फैसला किया है। इस योजना का ऐलान कोरोना काल में किया गया था।
बीजेपी सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि जनता के लिए इन राहतों का ऐलान अगले साल होने वाले चुनावों को ध्यान में रखकर किया गया है। चुनाव से पहले यह बीजेपी की एक बड़ी रणनीति है। मुफ्त राशन योजना के तहत 15 करोड़ लोगों को हर महीने लाभ मिलता है। उम्मीद है कि यूपी में अगले साल मार्च में ही चुनाव होंगे। ऐसे में इस योजना के आगे बढ़ाए जाने को लेकर पार्टी नेताओं का मानना है कि यह एक सोची-समझी रणनीति है जिसका फायदा आने वाले चुनावों में पार्टी को होगा।
हालांकि, कई चुनावी विश्लेषकों और का यह भी मानना है कि यह जरुरी नहीं कि तेल के बढ़े दामों का असर उप-चुनाव में बीजेपी के खिलाफ पड़ा है। अगर ऐसा होता तो असम, मध्य प्रदेश और कुछ अन्य राज्यों में नतीजे बीजेपी के पक्ष में नहीं जाते। उप-चुनाव के दौरान अलग-अलग विधानसभा सीटों और लोकसभा सीटों पर मुद्दे अलग थे।
उप-चुनाव के नतीजे घोषित होने के ठीक एक दिन बाद केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइड ड्यूटी घटाने का ऐलान कर दिया था। इसके बाद बीजेपी शासित उत्तर प्रदेश, असम, कर्नाटक, मणिपुर, त्रिपुरा, गोवा, गुजरात, हरियाणा, उत्तराखंड, और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों ने तेल के दामों में अतिरिक्त कटौती का ऐलान किया। हाल ही में हुए उप-चुनाव के नतीजे मिले-जुले रहे। हिमाचल प्रदेश में बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा हालांकि, बीजेपी शासित असम और मध्य प्रदेश में पार्टी को राहत जरूर मिली।
किसानों के जारी आंदोलन और हाल ही में लखीमपुर खीरी में मोदी कैबिनेट के गृह मंत्रालय के मंत्री के बेटे तथा स्थानीय सांसद पर चार किसानों को गाड़ी से कुचलने के आरोपों ने भाजपा की मुश्किल बढ़ाई हैं। कई लोग मान रहे हैं कि भाजपा को यूपी समेत कुछ राज्यों में काफी हद तक इसकी कीमत चुकानी पड़ सकती है। किसान आंदोलन का असर पंजाब में भी देखने को मिल सकता है।
आम आदमी पार्टी (आप) और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) आगामी चुनावों के लिए गंभीर प्रयास कर रही हैं, जिससे कांग्रेस की संभावनाओं को नुकसान होगा क्योंकि ये पार्टियां कुछ वोट अपने हिस्से में लाएंगी, जो भाजपा के लिए सत्ता में बने रहने के लिए पर्याप्त होंगे, भले ही उसका वोट शेयर घट जाए। कहा जा रहा है कि उत्तराखंड में लोग भाजपा के पांच वर्ष के शासन से बहुत खुश नहीं हैं। भले ही लोगों ने भाजपा को राज्य में प्रचंड बहुमत दिया था, लेकिन सरकार वहां अस्थिर बनी रही और पार्टी ने तीन मुख्यमंत्री बदले। मणिपुर की बात करें तो यहां भाजपा शासन कर रही है लेकिन राज्य इकाई में गंभीर अंदरूनी कलह चल रहे हैं। जिसका असर चुनाव में दिख सकता है।