नई दिल्ली।
उर्दू के मशहूर शायर राहत इंदौरी के निधन उनके चाहने वाले प्रस्तार ग़मज़दा है।ऐसे ही एक प्रस्तार मसूद हाशमी ने उनके निधन पर श्रधांजलि देते हुए कहा कि राहत इंदौरी को कभी भुलाया नही जा सकता।जब वो ज़िंदा थे तब भी हमे याद रहते थे अब वो नही है लेकिन उनका कलाम हमारे पास मौजूद है।उनका कलाम हमेशा हमे राह दिखाता रहेगा।हम उनको कभी भुला नही पाएंगे।
मसूद हाशमी ने कहा कि मे खुशकिस्मत हूँ कि मेरी उनसे कुछ मुलाक़ातें रहीं।वो जब भी दिल्ली आते तुर्कमान गेट पर स्थित होटल वाइट पैलेस मे ठहरते थे।मुझे पता चल जाता था तो में ज़रूर उनसे मिलने जाता था।
उँन्होने कहा कि हर शख्स मे कुछ खूबियां और खामियां होती है।लेकिन एक फनकार के अंदर 2 शख्सियात होतीं है।राहत इंदौरी के फन से सभी परिचित थे।लेकिन निजी तौर पर वो एक नेक मिलनसार और खुशगवार इंसान थे।उनकी सब से अच्छी बात ये थी की वो अपने शायर साथियों को तो जानते ही थे बल्कि अपने दर्शकों को भी नाम से पुकारते थे।
मसूद हाशमी ने कहा कि राहत इंदौरी के कलाम से एक शेर का चयन करना बड़ा मुश्किल है।मुझे उनका एक शेर बड़ा पसंद था।
हमारे सर की फटी टोपियों पर तंज ना कर
हमारे ताज अजायब घरों मे रखे है।
उनका ये शेर हमारे ऐतेहास पर रोशनी डालता था।वो एक अज़ीम शायर थे आज हमारे दरमियान नही है हम उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते है और उनके परिवार को शांति सब्र के लिए खुदा से दुआ करते है।