नई दिल्ली: लोजपा के संस्थापक और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का गुरुवार देर शाम दिल्ली के फोर्टिस एस्कॉर्ट अस्पताल में निधन हो गया। उनके पुत्र और लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने ट्वीट कर यह जानकारी दी। उन्होंने लिखा… पापा अब आप इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन मुझे पता है, आप जहां भी हैं, हमेशा मेरे साथ हैं।
रामविलास पासवान लंबे समय से बीमार चल रहे थे। शनिवार को उनके हार्ट की सर्जरी हुई थी। वे बिहार की राजनीति में चार दशक से एक मजबूत स्तंभ बने रहे।
खगड़िया के शहरबन्नी गांव में एक साधारण परिवार में जन्मे श्री पासवान ने छात्रसंघ से राजनीति में कदम रखा था। वह जेपी आंदोलन में भी बिहार में मुख्य किरदार थे। वे देश के दलितों की हित के लिए संघर्ष करते रहे। मृदुभाषी होने के कारण सभी के दिल में उनके लिए जगह थी।
पहली बार वर्ष 1969 में वह विधायक बने। वर्ष 1977 में पहली बार मतों के विश्व रिकॉर्ड के अंतर से जीतकर लोकसभा पहुंचे। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। केंद्र में एनडीए की सरकार हो या यूपीए की, उनका महत्व समान रूप से बना रहा। उनके निधन से राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत तमाम राजनीतिक दलों के नेताओं ने गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है।
रामविलास पासवान ने खगड़िया के काफी दुरुह इलाके शहरबन्नी से निकलकर दिल्ली की सत्ता तक का सफर अपने संघर्ष के बूते तय किया था। इसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। लिहाजा वह पांच दशक तक बिहार और देश की राजनीति में छाये रहे। इस दौरान दो बार उन्होंने लोकसभा चुनाव में सर्वाधिक मतों से जीतने का विश्व रिकॉर्ड भी कायम किया।
रामविलास पासवान देश के छह प्रधानमंत्रियों की कैबिनेट में मंत्री रहे। राजनीति की नब्ज पर उनकी पकड़ इस कदर रही कि वह वोट के एक निश्चित भाग को इधर से उधर ट्रांसफर करा सकते थे। यही कारण है कि वह राजनीति में हमेशा प्रभावी भूमिका निभाते रहे। इनके राजनीतिक कौशल का ही प्रभाव था कि उन्हें यूपीए में शामिल करने के लिए सोनिया गांधी खुद चलकर उनके आवास पर गई थीं।
‘ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर’ इस कहावत को चरितार्थ करने वाले मृदुभाषी पासवान छह प्रधानमंत्रियों के साथ काम कर चुके थे। 1996 से 2015 तक केन्द्र में सरकार बनाने वाले सभी राष्ट्रीय गठबंधन चाहे यूपीए हो या एनडीए, का वह हिस्सा बने। इसी कारण लालू प्रसाद ने उनको ‘मौसम विज्ञानी’ का नाम दिया था। रामविलास पासवान खुद भी स्वीकार कर चुके थे कि वह जहां रहते हैं सरकार उन्हीं की बनती है। मतलब राजीतिक मौसम का पुर्वानुमान लगाने में वे माहिर थे। वे समाजवादी पृष्ठभूमि के बड़े नेताओं में से एक थे। देशभर में उनकी पहचान राष्ट्रीय नेता के रूप में रही। हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र से वह कई बार चुनाव जीते, लेकिन दो बार उन्होंने सबसे अधिक वोट से जीतने का रिकॉर्ड बनाया।
(इनपुट livehindustan.com)