हमारी दुनिया में जब भी आओगे तो कुछ ना बदलेगा,ये दिल यूं ही धड़कता हुआ पाओगे। ये प्यार की लौ यूँ ही प्रज्वलित पाओगे। जैसे सायरा की आंखों में हर नज़्म लिखी है। दिलीप के नाम की, जो दिखती है, कोई भी पढ़ ले, जिसे मन और आँखें पढ़ना आता हो।
जब सभी दिलीप जी को अंतिम विदाई दे रहे थे, तो हमारी सासें सायरा पर केंद्रित थी। कितने बड़े मन की मल्लिका है सायरा कि पति के छोड़कर जाने के बाद, किसी और स्त्री से विवाह कर लेने के बाद भी, जब दिलीप कुमार ने वापसी की, तो सायरा ने दोनो बाहें फैला दी, बिना किसी शिकवा गिला के, ये दिल ही था तुम्हारा सायरा जो सब के पास नहीं।
दिल विल प्यार व्यार मैं क्या जानू रे !
जानू तो जानू बस , मैं तुझे अपना मानूँ रे
दसियों साल पहले सायरा की ये फिल्म देखी थी। इस गीत पर झूमती नाचती, अल्हड़,मोहक, निष्ठावान, प्यार में डूबी,रमी, सायरा सच में प्यार को लेकर गणितज्ञ ना रही। बस रही तो पत्नी, प्रेमिका, दोस्त और हमसफ़र दिलीप जी की।
वीडियो में देखा उनकी छुवन , उनकी चितवन, उनका चूमना, उनका दिलीप को यूं देखना। मानो वो कह रही हो कि दिलीप तुम हज़ार जनम बाद भी आओगे, तुमको हर जनम में भी अगर ये भूलने की बीमारी हो जाएगी, तो भी सायरा बानो का मन, आंखें , आत्मा , देह, हर चढ़ती उतरती श्वास में, तुम खुद को ही पाओगे।
रोम रोम तुम्हारे प्यार में पगी सायरा, तुम्हें चाहकर, और क्या ही चाहेगी।
तुम जब भी आओगे उसका हृदय अपने लिए धड़कता ही पाओगे।
वो बिसरा देगी स्वयं को तुम्हारे लिए। आत्मसम्मान, कोई चाह, कोई चमक, कोई ग्लैमर, वो अपनी मोहब्बत से बड़ा ना होने देगी।
वो रुपहले पर्दे पर जितनी चुलबुली लगी। जीवन में उतनी ही गंभीर। सुना है वो लंदन में पढ़ी ,पर जब भी भारत आती थी, तो दिलीप कुमार की शूटिंग देखने के लिये घंटो स्टूडियों में बैठी रहती थी। 25 बरस की सायरा 44 बरस के दिलीप कुमार के प्यार में जिस शिद्दत से पड़ी, विवाह किया, उतनी ही शिद्दत से उस प्रेम को निभाया भी।
जब भी मुहब्बत करना,मुहब्बत में सायरा बानो हो जाना
आज तुम्हारी वो मुस्कान और चुलबुलापन बहुत याद आ रहा है।