करोना की दूसरी लहर ने देश में हर तरफ कोहराम मचा रखा है। इस बार करोना ने सुनामी का रूप धारण कर लिया है । जिसके कारण हर तरफ शोक की लहर दौड़ी हुई है । मीडिया और सोशल मीडिया जिधर जिधर नज़र जाती है ,केवल कोरोना की ही खबरें सुनने को मिल रही हैं। प्राइवेट अस्पताल हों या सरकारी अस्पताल बेडों की पूर्ति नहीं हो पा रही है। हालत यह है लंबी लंबी गाड़ियों मैं मरीज़ अपना नंबर आने का इंतजार कर रहे हैं । हालात इतना भयंकर रूप धारण कर चुके हैं कि आम आदमी का तो कहना ही क्या आजमगढ़ के पूर्व पार्लियामेंट सदस्य सलीम अंसारी तक को लाख कोशिशों के बावजूद बेड नहीं मिल पाया । देश की राजधानी दिल्ली के अतिरिक्त उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से दिल दहला देने वाले मंज़र सामने आ रहे हैं। कितने ही साहित्यकार और लेखक इस दुनिया से रुखसत हो गए । हर रोज़ अपने किसी अज़ीज़ के साथ छोड़ जाने की ख़बर ने दिलों दिमाग की हालत अजीब कर दी है । करोना के कारण मरने वालों की संख्या सरकारी रिपोर्ट के विपरीत 10 गुना अधिक है। यही कारण हैं कि हालात इतने संगीन हो गए हैं कि मरने वालों को कब्रिस्तान और श्मशान तक मैं जगह नसीब नहीं हो रही है। दिल्ली में तकरीबन 100 में से 20 लोग कोरोना पॉजिटिव मिल रहे हैं , इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस बार कोरोना की लहर कितनी तेज़ है। और यह कहां जाकर रुके कुछ भी कहना मुश्किल है आज देश भर में कोरोना के मरीज 2 लाख 34 हज़ार 692 हो चुकी है।
अब तक मरीजों की संख्या एक करोड़ 45 लाख 609 हो चुकी है । हालात इतना गंभीर रूप हार चुके हैं की हालात पर काबू पाना मुश्किल हो रहा है। इस लेख के माध्यम से हम अपने पाठकों को एक बार फिर यह समझाना चाहते हैं कि खुदाया होश के नाखून लें, और यह समझें कु़दरत का क़हर किसी एक धर्म एक जाति के लिए नहीं है बल्कि यह क़हर पूरी मानव जाति के लिए है। रब जब अपनी मेहरबानियां करता है तब भी वह कोई मज़हब ,कोई धर्म, कोई जाति, नहीं देखता और जब अपने क़हर में आता है तब भी कोई मज़हब या जाति नहीं देखता, फिर क्यों हम मानव उसके संदेशों को नहीं समझते क्यों धर्म के नाम पर, मंदिर मस्जिद के नाम पर एक दूसरे के ख़ून के प्यासे बन जाते हैं। रब रब्बुल आलामीन है, सारी मानव जाति का है किसी एक व्यक्ति का नहीं। फिर क्यों हम इस गंदी राजनीति के जाल में फंसकर अपनी मानवता को भूल जाते हैं, एकता भाईचारे और सौहार्द को द्वेष ,कलह और नफ़रत की भट्टी में झोंक देते हैं। आज पूरे देश पर संकट के बादल छाए हुए हैं ,मौत हमारे दरवाज़े पर दस्तक दे रही है मालूम नहीं कब दबे पाव घर में दाखिल हो जाए कम से कम अब तो हमें समझना चाहिए की जब ईश्वर कोई भेदभाव नहीं करता तो हम क्यों करें हम सबको मिलकर इस आपदा का सामना करना है। इस परेशानी से लड़ने का सबसे बड़ा हथियार हमारी अंतर शक्ति है ,अपनी सकारात्मक सोच के द्वारा हमें अपनी अंतर शक्ति को बनाए रखना होगा, इस आपदा से डरने की बजाय अपनी सकारात्मक सोच के साथ इससे लड़ना होगा महामारी के इस दौर में डॉक्टर के बताए हुए सुझाव और नियमों का पालन करते रहना होगा ।इस बीमारी से बचने के लिए हमें टीकाकरण की बहुत अधिक आवश्यकता है। तबीयत ख़राब होते ही फौरन डॉक्टर के पास जाकर जांच करा लेनी चाहिए। इसके अतिरिक्त सोशल डिस्टेंसिंग का खास खयाल रखा जाए। रमज़ान का बरकतों वाला महीना है बेशक इस महीने में अल्लाह रब्बुल इज्जत अपने बंदों की तमाम ख़ताओं को माफ करके उसकी दुआओं को सुनता है लेकिन अल्लाह रब्बुल इज्जत ने हमें बताया है कि हमारी जान की हिफाज़त भी हमारा फर्ज है इसलिए मस्जिदों में नमाज़ और तरावी के वक्त सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए सरकार की गाइड लाइन का पूरा पूरा ख्याल रखा जाए ।बहुत से लोग एक जगह जमा ना हों। मास्क को अपनी नाक पर से ना हटने दें ।अपने हाथों को बार-बार धोते रहें ।एक अल्कोहल बेस्ड सैनिटाइजर हर समय अपने पास रखें और समय-समय पर अपने हाथों को अच्छी तरह लगाएं ।इससे हाथ पर वायरस मौजूद भी हुआ तो समाप्त हो जाएगा। अगर आपने कोई टिशू इस्तेमाल किया है तो उसे जितनी जल्दी हो सके डिस्पोज़ कर दें । अपने आसपास ध्यान रखें कि अगर कोई ग़रीब आर्थिक तंगी के कारण इलाज नहीं करा पा रहा है तो उसकी मदद करें । इंशाअल्लाह हम सब मिलकर जल्दी ही इस आपदा से बाहर आएंगे।