आज मुसलमानों को राजद से शिकायत है राजद शहाबुद्दीन का मामला संजीदगी से नहीं उठा रही। किसी को फ़ैयाज़ भागलपुरी, अनवारुल हक़, अशरफ अली फ़ातमी याद है! सीतामढ़ी में किसान आंदोलन के दौरान गोली चली, अनवार साहब और दूसरे नेताओं पर केस हुआ जब बिहार में राजद की सरकार थी। लगभग 15 सालों के बाद सज़ा हुई तब भी राजद+जदयू की सरकार थी और अनवार साहब तब भी राजद में थे। मैं जाती तौर पर उस केस के मामले में अनवार साहब से मिला था। फ़ैयाज़ भागलपुरी लालूजी की पहली सरकार में वित्तमंत्री थे। चारा घोटाला जब हो रहा था तो फ़ैयाज़ साहब वित्तमंत्री थे। फ़ैयाज़ साहब चूंकि बिना पढ़े कोई फ़ाइल दस्तख़त नहीं करते थे इसलिए जेल जाने से बच गए। ये बात फ़ैयाज़ भागलपुरी साहब ने मुझे स्वंय बताया जब मैंने पूछा था कि फ़ैयाज़ भाई आप बच कैसे गए। बाद में फ़ैयाज़ साहब इतिहास हो गए। आज की पीढ़ी उनको जानती भी नहीं होगी। फ़ातमी साहब भी हाशिये पर चले गए या धकेल दिए गए ये सब भी हमारे सामने ही हुआ है। लेकिन मुझे याद नहीं कि बिहार के मुसलमानों की ओर से राजद के विरुद्ध कोई विरोध हुआ हो। मुसलमान अपने आप से सवाल करे क्या इन नेताओं को उन्होंने नेता बनाया? अगर ये राजद छोड़कर जदयू में चले जाते हैं तो तब भी वो अपना लीडर इन्हें मानते हैं? अगर ऐसा होता तो जदयू के 11 के 11 विधानसभा प्रत्याशी फिर कैसे हार गए। नीतीश कुमार को मजबूर होकर अल्पसंख्यक मंत्री अशोक चौधरी को बनाना पड़ा। क्या ग़ुलाम रसूल बलियावी मुस्लिम लीडर नहीं थे। उन्ही के लिए एक प्रतिनिधिमंडल लेकर चले जाते की अल्पसंख्यक मंत्री इन्हीं को बना दिया जाए।
दिक़्क़त ख़ुद मुसलमानों में है। न वो अपनी क़यादत सींचता है न उसको संभालना जानता है न उसके लिए कोई क़ुरबानी देना चाहता है। बिहार के मुसलमानों को अपने नफ़ा और नुक़सान का भी तजज़िया करने नहीं आता। नीतीश कुमार की पार्टी का मुस्लिम नेता अछूत तेजस्वी की पार्टी का मुस्लिम नेता अमीर। कौन सा मापदंड है? राजद को पता है कल बिहार का मुसलमान फिर वोट झक मारकर उसी को देगा। मुसलमानों ने मीरान के लिए कितने जुलूस निकाले राजद के विरुद्ध। उन्हें पता है आप शहाबुद्दीन के लिए भी कोई बड़ा नुक़सान उनका नहीं करने वाले। चुनाव आएगा और मुसलमान का हर बच्चा लालू और तेजस्वी बन जायेगा।
मुसलमान पहले तय कर ले कि लीडर मानने का उनका मापदंड क्या है। सेक्युलर पार्टी का मुस्लिम लीडर उनका लीडर है या किसी भी पार्टी का मुस्लिम लीडर उनका लीडर है। कोई भी मुस्लिम लीडर उनका लीडर है, कोई भी सेक्युलर लीडर उनका लीडर है या आपको लीडर पैदा करना है। ये जब तक मुसलमान तय नहीं करेगा उसका सियासी इस्तहसाल होता रहेगा।
मैं शहाबुद्दीन साहब को कभी अपना लीडर नहीं मानता था बल्कि लीडर ही नहीं मानता था जैसे बहुत सारे लोगों को मैं लीडर नहीं मानता हूं। लीडर की मेरी परिभाषा में आज के बहुत एम पी, एम एल ए फिट नहीं बैठते। उनके हयात में रहते उनके विरुद्ध मैंने बहुत सारे बयान दिए हैं। ज़रूरी नहीं कि हर आदमी मेरे मापदंड से सहमत हो। लेकिन उनकी मौत पर जो संशय पैदा हो रहा है, परिवार को जो शक़ है उसपर राजद को मज़बूती से उनके परिवार के साथ खड़े होना चाहिए। सिर्फ़ ट्वीट-ट्वीट तेजस्वी मुसलमानों के मामले में बहुत बार खेल चुके हैं। शहाबुद्दीन आपके माता-पिता की सरकार बनाने के लिए किसी भी हद तक जाया करते थे। आज ख़ुद शहाबुद्दीन गिर गए या गिरा दिए गए ये सच आने तक और मिट्टी में रखने तक तो राजद परिवार को उनके परिवार के साथ मज़बूती से खड़े रहना चाहिए।