अनुवाद: शहला प्रवीण, पी, एच, डी,स्कोलर दिल्ली विश्वविद्यालय
मन की शांति जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है, अगर आदमी किसी भी कारण से तनाव में हैं तो उसकी शारीरिक स्वास्थ्य भी प्रभावित होती है, और काम करने की शक्तियों पर भी इसका असर पड़ता है। अल्लाह ताला ने पत्नी को मन की शांति वाले जीवन का केन्द्र और अक्ष का संकल्प बनाया है। कुरान करीम में पत्नी के सृष्टि को अल्लाह की ओर से संकेत बताया गया है, और इसके मूल उद्देश्य में प्रेम व स्नेह का उल्लेख किया है। इसलिए अच्छे घर की विशेषता उसका तनाव मुक्त क्षेत्र होना है।
आज मामला यह है कि हमारे घरों से यह विशेषता चली गई है किसी न किसी कारण से घरों में पति-पत्नी, सास बहू, देवर नन्द, भाई बहन, के झगड़े आम है। जिस कारण से घर की सूख शांति समाप्त हो गई है और घरेलू जीवन तीतर बितर हो कर रह गया है। सहनशील स्वभाव समाप्त हो गया है। झगड़े बढ़ते रहते हैं। कभी कभी तो बात तलाक पर समाप्त होते हैं, और कभी अदालत में पेश होते होते सारा जीवन व्यतीत हो जाता है।
घर को शांति पूर्ण कैसे बनाया जाए, यह प्रश्न है जो हर आदमी के मस्तिष्क में जन्म लेता है, इसका उत्तर यह है कि घर के हर सदस्यों के अधिकारों की छूट और एक दूसरे के प्रति सहानुभूति, सहनशीलता प्रेम के अभिव्यक्ति से घर को स्वर्ग जैसा बनाया जा सकता है, लेकिन यह किसी एक के करने से नहीं होगा, सबका स्वभाव एक जैसा हो और हर सदस्यों को प्रशिक्षण इस प्रकार किया गया हो तो शांति पूर्ण वातावरण बनाना कोई कठिन नहीं है।
घरेलू जीवन का मुख्य केंद्र पत्नी होती है, उसका त्याग इसका बहुत बड़ा उदाहरण है कि वह अपने पति के लिए अपने मां, बाप, भाई, बहन, घर, गांव, और सामान्य स्थिति में अपना क्षेत्र तक छोड़ कर सुसराल आ जाती है जहां मूल रूप से पति के सिवाय उसका किसी से कोई संबंध नहीं होता है। सारे संबंध पति के कारण ही बनते हैं। पति के मां बाप उसके मां बाप बन जाते हैं, पति के भाई बहन कहने के लिए उसके देवर नन्द है परन्तु वास्तव में परिवार में वह भी भाई बहन समान होते हैं। अगर स्त्रिय को पति ही की ओर से ताना का सामना हो और उसी का व्यवहार अनुचित हो, तो वह भला किस के बल बूते पर जीवन व्यतीत करेगी, वह तो अपना सब कुछ तो उसके लिए छोड़ आई और वही उसे सताता है, मारता है, गालियां देता है, काम वाली बाई के जैसे काम लेता है। उसके सूख चैन की उसे प्रवाह नहीं है तो वह भला किस तरह शांति पूर्ण रहेगी, और जब उसके मस्तिष्क में तुफान चलेगी तो यह तुफान पागल तुफानो की तरह बंद द्वार को भी तोड़ कर रख देगी। इस उथल पुथल में सारा जीवन आशांति का शिकार होगा और पूरा परिवार तबाह बर्बाद हो जाएगा।
इसलिए अगर शांति पूर्ण जीवन व्यतीत करना है तो पत्नी को मानसिक शांति देना अधिक आवश्यक है, इस के लिए कभी तो प्रेम के दो बोल ही काफी होते हैं, कभी छोटी मोटी ज़रूरतों का समापन कर के यह कार्य निकल जाता है। कुछ लोग घर में कठोर स्वभाव के बन जाते हैं, और बाहर में उनके हंसमुख स्वभाव का प्रचार होता है, घर में भी हंसमुख स्वभाव होना चाहिए कठोर स्वभाव से काम ख़राब हो जाता है। अच्छे स्वभाव में प्रेम की भावना होती है कुछ लोग इसे चोंचले से व्याख्यान करते हैं। हंसमुख स्वभाव चोंचला नहीं है, यह अपने प्रसन्न रहने के साथ दूसरे को प्रसन्न रखने का प्रभावी स्रोत है। संबंध स्थिर नहीं होते विभिन्न अवसरों पर विभिन्न अंदाज में इस संबंध की आवश्यकताओं की अभिव्यक्ति होना चाहिए। इस भ्रम में नहीं रहना चाहिए कि प्रेम को पत्नी स्वंय समझ लेगी, प्रेम के अभिव्यक्ति की क्या जरूरत है। इस अभिव्यक्ति में कंजूसी भी संबंधो को बे रंग और सपाट बना देती है और जीवन बेस्वाद होकर रह जाता है। कठोर स्वभाव और कभी कभी आवश्यकता से अधिक सावधानी भी स्त्रियों के लिए परेशानी का कारण बन जाती है। मानसिक शांति के लिए कठोर स्वभाव और सौम्य में संयम की आवश्यकता होती है। अगर यह संयम और संतुलन खो गया तो जीवन का संतुलन बिगड़ जाता है। और स्त्रियां इस असंयम के कारण जीवन नर्क जैसा बना देती है।
हालांकि पत्नी पति से कुछ अनुचित उम्मीदें नहीं रखती, वह वही सब पसंद करती हैं, जो कुछ पति अपनी पत्नी में देखना चाहता है। वह आत्म सम्मान प्रेम पूर्ण बातें, साफ सूथरा वस्त्र और सुगंध को पसंद करता है। पत्नी भी इन्हीं गुणों को पति में देखना चाहती है। पतियों की कमी यह है कि वह पत्नी से इस सब चीजों की मांग करता है और स्वंय इन सब बातों का ध्यान नहीं रखता। घरेलू मामलों में अनुचित हस्तक्षेप भी घर के प्रणाली को ख़राब करता है, कुछ पति क्या पकेगा इस मामले में भी अपनी टांगें अड़ाते हैं, कभी कभी अपने इच्छा के अभिव्यक्ति में हास्य नहीं परन्तु हर समय इसकी इच्छा का खाना बनाया जाए इस पर बार बार कहना बिल्कुल भी सही नहीं है। गृहणी घर की रानी होती है और वह अपने सीमाओं में किसी का भी अनुचित हस्तक्षेप पसंद नहीं करती, अर्थात उसका पति ही क्यों न हो।
घर को शांति पूर्ण रखने के लिए पत्नी के मायके वालों को सम्मान देना चाहिए, पत्नी के मायके वालों को अपने घर पर दावत पर आमंत्रित करना चाहिए। यह तरीका नबूवी फरमान के समापन है और पत्नी की दिलजोइ दयालुता और सांत्वना का बड़ा स्रोत भी हैं। इसके विपरित पत्नी के परिवार वालों की हीनता और गालियां देना परिवार के टूटने का कारण बनता है। पत्नी की ओर से पति के मां बाप और प्रिय संबंधी के साथ अच्छा व्यवहार अच्छे वातावरण को बनाने में बहुत मदद करता है। बहुत सारे लोग स्त्रियों के स्वभाव के बारे में उसके कुटिल पसली से जन्म लेने वाली बात को बहुत महत्व देतेते हैं। हालांकि यह तो उसकी सुंदरता है कि बाएं पसली के ऊपर हृदय होता है, इसलिए यह संकेत है कि यह हृदय के निकट रहने वाली चीज़ है। रह गई बात कुटिलता की तो भौंऔ को अगर सीधा कर दिया जाए तो उसकी सुंदरता चली जाती है। इसी प्रकार स्त्रियों की कुटिलता समाप्त हो जाएगी तो जीवन बिलकुल स्थिर हो कर रह जाएगा इसलिए कुटिलता को दोषपूर्ण नहीं समझना चाहिए इसी प्रकार पतियों का मूल्यांकन और नाशुक्री करना भी स्त्रियों का स्वभाव का भाव है लेकिन इस से अधिक परेशान नहीं होना चाहिए क्योंकि इस छोटे से दोष से अधिक उनके अंदर बहुत से गुण है। एक दोष के पीछे पड़ कर उसके सारे गुणों को अनदेखा कर देना कहां की बुद्धिमती है। ऐसा नहीं हो कि उसकी कमियों के कारण उसकी अच्छाई अनदेखी हो जाए। स्त्रियों पर हर माह एसी स्थिति आती है कि जिससे वह कमजोर हो जाती है और उस पर झुंझलाहट हो जाती है। कमजोरी की इस स्थिति में भी उसके साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए। अल्लाह ताला ने तो कमजोरी का इतना ध्यान रखा कि उस समय नमाज़ें माफ़ कर दीं, और रोज़े बाद में रखने की छूट दे दी। क्या हम उन पर से काम का बोझ उन दिनों में आसान नहीं कर सकते। यह बात अच्छी तरह से याद रखना चाहिए कि अल्लाह ताला ने पत्नियों को पतियों के देखरेख में दिया है। उनकी वैध इच्छा का समापन जितना संभव हो उतना आवश्यक करना चाहिए। आपका सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम का असवाह उमहातुल मोमेनीन के साथ हमारे सामने है, उसमें दो बार हजरत आयशा के साथ दौड़ का भी मुकाबला शामिल है। शांति पूर्ण रहना चाहते हैं तो असवा को अपनाइए क्यों कि यह शांति पूर्ण घरेलू जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है।