श्रीलंका में जारी आर्थिक संकट की वजह से लोग सड़कों पर आ गए हैं और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। हिंसक होते प्रदर्शनों को देखते हुए श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) ने देश में इमरजेंसी का ऐलान कर दिया है। इस समय श्रीलंका 1948 में ब्रिटेन से आजाद होने के बाद सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने एक गजट जारी करते हुए एक अप्रैल से इमरजेंसी लागू करने का ऐलान कर दिया है। यहां की अर्थव्यवस्था खस्ताहाल हो चुकी है।
राष्ट्रपति आवास के बाहर हुए जबरदस्त प्रदर्शन के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है। नाराज नागरिक देश के आर्थिक संकट के मुद्दे पर प्रदर्शन कर रहे थे। आम लोगों को लगता है आर्थिक बदहाली के लिए मौजूदा सरकार की नीतियां ही जिम्मेदार है। कोलंबो में हिंसा का दौर जारी है। लोगों ने गाड़ियों में आगजनी की। पुलिस की गाड़ियों तक को नहीं छोड़ गया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार ने अपने आदेश में कहा है कि देश की सुरक्षा और आवश्यक सर्विस की आपूर्ति के रखरखाव के लिए यह कदम उठाया गया है। इससे पहले श्रीलंका सरकार ने राष्ट्रपति आवास के बाहर हुए हिंसक प्रदर्शन आतंकी कृत्य करार दिया है और घटना के लिए विपक्षी दलों से जुड़े लोगों को जिम्मेदार ठहराया है। वहीं सुरक्षा बल और आम लोग आमने-सामने आ गए हैं। लोगों को भगाने के लिए फायर गैस छोड़ी गई। अब तक की हिंसा में श्रीलंका में 10 लोग घायल होने की खबर है। वहीं 50 से ज्यादा लोग हिरासत में लिए जा चुके हैं। हालात इतने बिगड़ गए कि स्पेशल टास्क फोर्स को बुलाना पड़ा, लेकिन हालात काबू में नहीं आ पा रहे हैं।
देश की अर्थव्यवस्था खस्ताहाल हो चुकी है। देश में फ्यूल और गैस की भारी कमी हो गई है। श्रीलंका सरकार के पास तेल आयात करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार की बड़ी कमी है। नतीजा लोगों को पेट्रोल-डीजल के लिए कई घंटों तक लाइन में लगना पड़ रहा है। लोगों को 13-13 घंटे तक बिजली कटौती का सामना करना पड़ा रहा है। देश के ऊर्जा मंत्री ने सड़कों की लाइट बंद करने के निर्देश पहले ही दे दिए हैं, ताकि बिजली की बचत की जा सके। इतना ही कोलंबो स्टॉक एक्सचेंज ने पॉवर कट की वजह से ट्रेडिंग का समय एक हफ्ते के लिए 2 घंटे कम कर दिया है।