नई दिल्ली:किसानों के प्रदर्शन के कारण दिल्ली बॉर्डर बंद किए जाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, दिल्ली, यूपी, हरियाणा व पंजाब को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है। याचिकाकर्ता लॉ स्टूडेंट व दो अन्य की ओर से अर्जी दाखिल कर कहा गया कि बॉर्डर सील कर दिया गया है। शाहीनबाग केस में दिए फैसले का हवाला देकर कहा गया है कि वहां से किसानों को हटाया जाना चाहिए और बॉर्डर खाली कराया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली के आसपास के किसानों का प्रदर्शन जल्दी ही राष्ट्रीय मुद्दा बन जाएगा और ऐसे में अदालत चाहती है कि एक कमिटी का गठन हो जो दोनों पक्षों के बीच बातचीत से मामले को निपटाए।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एस ए बोबडे ने सवाल किया कि आप बॉर्डर ओपन कराना चाहते हैं। याची ने कहा कि इस मामले में नोटिस जारी होना चाहिए। कोर्ट ने याची से कहा कि आप किसानों के संगठन को भी पार्टी बनाएं। हम नहीं जानते कि कौन से संगठन हैं। एडवोकेट जीएस मनी ने इस दौरान कहा कि इस मामले में आपसी बातचीत से मामले को निपटाया जाना चाहिए। अदालत ने कहा कि ज्यादातर अर्जी सही तरह से नहीं रखा गया है।
चीफ जस्टिस ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा है कि किसने किसानों को दिल्ली आने से रोका है। क्या आपने रोका है? तब तुषार मेहता ने कहा कि पुलिस ने उन्हें रोक रखा है। तुषार मेहता ने कहा कि सरकार किसानों से बात कर रही है। भारतीय किसान यूनियन और अन्य संगठन मौके पर प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन कुछ अन्य एलिमेंट ने भी प्रदर्शन में भाग ले लिया है। सरकार किसानों के खिलाफ कुछ भी नहीं कर रही है।
चीफ जस्टिस ने तब कहा कि आपने बातचीत की है लेकिन वह फेल हुआ है और फिर भी आप बातचीत के लिए तैयार हैं जो सराहनीय है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम मामले में नोटिस जारी करते हैं और सुनवाई के लिए गुरुवार की तारीख तय करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसानों और उनके संगठनों की एक कमिटी का गठन किया जाएगा। सरकार के नामित व्यक्ति भी होंगे। ये मामला राष्ट्रीय महत्व का बन गया है और इसे बातचीत से हल किया जाना जरूरी है।
चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच बातचीत किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है। अदालत ने तुषार मेहता से कहा कि हम आपको बताना चाहते हैं कि हम कुछ प्लानिंग कर रहे हैं। हम एक कमिटी का गठन करने जा रहे हैं जो मामले में विवाद का निपटारा करेगा। इसमें भारतीय किसान यूनियन, भारत सरकार और अन्य किसान संगठनों के प्रतिनिधि होंगे। हम किसान संगठनों से कहेंगे कि वह इस कमिटी के पार्ट बनें क्योंकि ये मुद्दा जल्दी ही राष्ट्रीय महत्व का मुद्दा बनने जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की अर्जी पर केंद्र, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और यूपी को नोटिस जारी किया है और अगली सुनवाई के लिए गुरुवार की तारीख तय कर दी है साथ ही याचिाककर्ता से कहा है कि वह किसानों के संगठनों को पार्टी बनाए। याचिकाकर्ता ने अर्जी दाखिल कर दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को हटाने की गुहार लगाई है।
एक याचिकाकर्ता जो लॉ स्टूडेंट है उसकी ओर से कहा गया है कि सड़कों को ब्लॉक कर दिया गया है और इस कारण इमरजेंसी सर्विस और मेडिकल सर्विस प्रभावित हो रहा है। दिल्ली में कोविड केसों का इजाफा हो रहा है। दिल्ली में अन्य राज्यों से बड़ी संख्या में मरीज आते हैं ताकि इलाज करा सकें वो सभी प्रभावित हो रहे हैं। याचिका में कहा गया है कि लाखों लोग प्रदर्शन में भाग ले रहे हैं जिनकी जिंदगी खतरे में है क्योंकि कोरोना वायरस की बीमारी फैली हुई है। इस कारण अंदेशा है कि कोरोना महामारी और ज्यादा फैल सकती है। इससे देश में खतरा हो सकता है। याचिकाकर्ता ने कहा कि प्रदर्शन करने वाले किसानों को दिल्ली बॉर्डर से अन्य जगह पर शिफ्ट किया जाना चाहिए और बंद पड़े सड़कों को ओपन किया जाना चाहिए। प्रदर्शनकारियों के बीच मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन होना चाहिए। पुलिस प्रदर्शनकारियों के लिए जगह अलॉट किए थे लेकिन प्रदर्शनकारी वहां शिफ्ट नहीं हो रहे हैं।
(input navbharattimes.indiatimes.com)