राष्ट्रीय उर्दू परिषद में उर्दू एवं टेक्नोलॉजी के संबंध में बैठक
नई दिल्ली: राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद के मुख्यालय में उर्दू और तकनीक को लेकर एक बैठक हुई, जिसमें राष्ट्रीय उर्दू परिषद के निदेशक डॉ. शम्स इकबाल ने कहा कि आज तकनीक विकास में अहम भूमिका निभा रही है। सामग्री को ई-प्रारूप में लाने के लिए हर स्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं। राष्ट्रीय उर्दू परिषद भी इस संबंध में लगातार काम कर रही है। परिषद के ई-बुक, मोबाइल ऐप, ब्लॉग, ई-लाइब्रेरी वेबसाइट, उर्दू ऑनलाइन शिक्षण वेबसाइट आदि का उपयोग देश-विदेश से बड़ी संख्या में उर्दू जानने वाले कर रहे हैं। आज इसे उन्नत भाषाओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने के लिए विस्तार और विकास की आवश्यकता है। हम अपने प्लेटफॉर्म को अपग्रेड करना चाहते हैं और सभी सामग्री को डिजिटल बनाना चाहते हैं। बच्चों और युवाओं के इंटरनेट के प्रति लगाव और रुचि को ध्यान में रखते हुए यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि उन तक सामग्री आसानी से पहुंचे। यह बैठक इसी उद्देश्य के तहत आयोजित की गई थी ताकि उर्दू आबादी को अधिक से अधिक लाभ मिल सके। इस अवसर पर बोलते हुए प्रोफेसर अरमान रसूल फरीदी (अध्यक्ष, कंप्यूटर विज्ञान विभाग, अलीगढ़) ने कहा कि आज प्रौद्योगिकी का युग है और वैश्विक दुनिया में किसी भी भाषा के विकास के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग आवश्यक है। एक उर्दू वर्ल्ड नेट बनाने की भी जरूरत है और यह काम नेशनल उर्दू काउंसिल से बेहतर कोई और संस्था नहीं कर सकती। प्रोफेसर मुहम्मद जहांगीर वारसी (अध्यक्ष, भाषा विज्ञान विभाग, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय) ने कहा कि उर्दू भाषा को बढ़ावा देने के संबंध में राष्ट्रीय उर्दू परिषद का शासनादेश शुरू से ही स्पष्ट है। उर्दू विश्व स्तर पर एक संपर्क भाषा के रूप में उभरी है और राष्ट्रीय उर्दू परिषद ने इसमें प्रमुख भूमिका निभाई है। राष्ट्रीय उर्दू परिषद ने इंटरनेट और टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल में भी सक्रियता दिखाई है। इसकी वेबसाइट में ग्रंथ सूची, पत्रिकाएं और जर्नल, लेख (यूनिकोड प्रारूप में) और ई-पब और पीडीएफ प्रारूप में किताबें शामिल हैं। अधिक लोगों तक पहुंचने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग और अद्यतन करने की आवश्यकता है। प्रोफेसर मुंसिफ आलम (कंप्यूटर विज्ञान विभाग, जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली) ने कहा कि आज टेक्नोलॉजी का महत्व इतना बढ़ गया है कि इसके बिना रहना मुश्किल हो गया है। आज तकनीकी सहायता के बिना कोई भी कार्य संभव नहीं है। डॉ. मुहम्मद मामूर अली (सहायक प्रोफेसर, शिक्षक प्रशिक्षण और गैर-औपचारिक शिक्षा विभाग, आईएएसई, जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली) ने कहा कि आज के युग में उर्दू या उसके जैसी किसी भी भाषा को प्रौद्योगिकी के उपयोग के साथ आना चाहिए। एक भाषा सीखने वाले को इसका उपयोग करने और इससे लाभ उठाने के कौशल हासिल करने चाहिए। प्रौद्योगिकी शिक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। काउंसिल की यह पहल सराहनीय है कि वह डिजिटल प्लेटफॉर्म के अपग्रेडेशन के बारे में सोच रही है। इस कार्यक्रम में श्री प्रशांत वर्मा (प्रोग्राम मैनेजर टेक्निकल सॉल्यूशंस डिजिटल इंडिया भाषाई डिवीजन, डीआईसी, माइटी), श्री सैयद मुहम्मद अहमद (सीटीओ, लारिब इंटरनेशनल, नई दिल्ली) ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
बैठक में राष्ट्रीय उर्दू परिषद की सहायक निदेशक (अकादमिक) डॉ. शमा कौसर यजदानी, अनुसंधान अधिकारी शाहनवाज मुहम्मद खुरम, अनुसंधान सहायक मुहम्मद अफजल हुसैन खान, परियोजना सहायक मुहम्मद अफरोज आदि भी उपस्थित थे।