आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने देश के बंटवारे का मुद्दा उठाते हुए कहा कि विभाजन एक योजना बंद साजिश थी। साथ ही उन्होंने कहा कि विभाजन का दर्द विभाजन के ख़त्म होने पर ही मिटेगा। ये बातें आरएसएस प्रमुख ने एक किताब के विमोचन कार्यक्रम के दौरान कही।
नोएडा में लेखक कृष्णानंद सागर के द्वारा लिखी गई किताब “विभाजन कालीन भारत के साक्षी” के विमोचन के मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि देश का विभाजन न मिटने वाली वेदना है। उसका निराकरण तभी होगा। जब ये विभाजन निरस्त होगा। साथ ही उन्होंने कहा कि ये नारों का विषय नहीं है नारे तब भी लगते थे लेकिन विभाजन हुआ। ये सोचने का विषय है।
इस दौरान आरएसएस प्रमुख ने यह भी कहा कि भारत जमीन का एक टुकड़ा नहीं हमारी मातृभूमि है। दुनिया को कुछ देने लायक हम तभी होंगे जब विभाजन हटेगा। साथ ही उन्होंने कहा कि देश का विभाजन राजनीति का नहीं बल्कि हमारे अस्तित्व का विषय है। इससे किसी को सुख नहीं मिला। अलगाव की प्रवृत्ति के कारण देश का विभाजन हुआ और हम इसके दर्दनाक इतिहास को दोहराने नहीं देंगे।
मोहन भागवत ने कहा कि देश कैसे टूटा उस इतिहास को पढ़कर हमें आगे बढ़ना होगा। विभाजन को समझने के लिए हमें उस समय से समझना होगा। भारत का विभाजन उस समय की परिस्थिति से ज्यादा इस्लामिक और ब्रिटिश आक्रमण का परिणाम था। इसके अलावा उन्होंने कहा कि विभाजन के बाद भी दंगे होते हैं। दूसरों के लिए भी वही आवश्यक मानना जो खुद को सही लगे यह गलत मानसिकता है। अपने प्रभुत्व का सपना देखना भी गलत है। राजा सबका होता है और सबकी उन्नति उसका धर्म है।
नोएडा के सेक्टर-12 में आयोजित कार्यक्रम के दौरान मोहन भागवत ने यह भी कहा कि जो खंडित हुआ उसको फिर से अखंड बनाना पड़ेगा। ये हमारा राष्ट्रीय धार्मिक और मानवीय कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि भारत के विभाजन का प्रस्ताव ही इसलिए स्वीकार किया गया ताकि खून की नदियां बह सके। लेकिन तब से अबतक काफी खून बह चुका है।