पटना : बिहार सरकार ने पिछले वर्ष उर्दू अनुवादक ,सहायक ऊर्दू अनुवादक और सहायक राज भाषा के लिए वैकेंसी निकली थी ,पहले के नोटिफिकेशन के अनुसार अप्रैल में परीक्षा होनी थी लेकिन लॉकडॉन की वजह से सर्द बस्ते में डाल दिया गया था ,फिर जुलाई में अलग अलग तीन नोटिफिकेशन आये ,जिस में सहायक उर्दू अनुवादक के लिए 30 अगस्त ,उर्दू अनुवादक के लिए 23 अगस्त और सहायक राज भाषा के परीक्षा के लिए 9 अगस्त की संभावित तिथि का ऐलान किया गया था और बिहार स्टाफ सैलेक्शन कमिशन की वेब साइट देखने को कहा गया।
आश्चार्य की बात तो ये है के आज 5 अगस्त हो चूका है लेकिन 9 अगस्त के संभावित परीक्षा के लिए कोई भी नोटिस नहीं निकाला गया है ,आगर उसी तिथि में परीक्षा होनी है तो एडमिट कार्ड और सेंटर की तफ्सील बता देना चाहिए थी और संभव की जगह अंतिम निर्णय लेना चाहिए था और अगर लॉक डॉन की वजह से 9 अगस्त की परीक्षा संभव नहीं है तो वेबसाइट पर स्थगित किये जाने का नोटिफिकेशन आना चाहिए,बिहार स्टाफ सेलेक्क्शन कमिशन की वेबसाइट पर इस बारे में आखरी अपडेट 4/7/2020 तक का है ,हाँ लॉक डॉन और ऑफिस बंद रहने का बहाना किया जायेगा लेकिन ज्ञान रहे के बिहार सरकार पहले ही लॉक डाउन में 50 प्रतिशत सरकारी और गैर सरकारी इदारे खोलने का एलान कर चुकी है और ये बहाना इसलिए भी नहीं चलेगा क्यों के 1/8/2020 यानि चार दिन पहले दूसरे मामले में एक नोटिफिकेशन डाला गया
है,जिसका अर्थ है के वहां काम काज हो रहे हैं बस उर्दू के लिए फुर्सत नहीं है?
या ये माना जाये के बिहार सरकार ने इन सीटों पर बहाली के लिए केवल चुनावी सब्ज़ बाग दिखा दिए हैं ,बहाली के बारे में कोई रूचि नहीं है और न ही संजीदगी है।
इलेक्शन लड़ना है तो ऐसे ही जुमले बाज़ी करते हुए बहलाते रहो ,बिहार सरकार अगर सच मुच संजीदा है और ये चुनावी घोषणा नहीं है तो 9 अगस्त की परीक्षा के बारे में साफ़ बताएं और सम्भावित के बजाये अंतिम तिथि की घोषणा करे ,एडमिट कार्ड जारी करे और इस से जुड़े हुए तमाम कार्रवाई को जल्द पूरा करे, फिर चुनाव के आचार संहिता का बहाना बनाया जाए गा, ऐसे में उर्दू दुश्मन होने का इलज़ाम सच साबित होगा क्यों कि बिहार सरकार स्कूलों से उर्दू के अनिवार्य विषय को ख़त्म करके इख़्तियारी परचा का हुक्म जारी कर चुकी है जो सरासर उर्दू के खिलाफ साज़िश है।
अब इस तरह की गैर संजीदगी से इस साज़िश के इल्जाम को और बढ़ावा मिलेगा।