नई दिल्ली [शुजाउद्दीन]। आक्सीजन के लिए लोगों को तड़पता हुआ देखकर युवा रोजेदारों का मन कुछ इस कद्र कचोटा कि उनसे रहा नहीं गया। आक्सीजन की तलाश में दिल्ली-एनसीआर में भटके, लेकिन निराशा हाथ लगी। लेकिन हार नहीं मानी और रोजे की हालत में भटकते हुए दिल्ली से 374 किलोमीटर दूर हिमाचल प्रदेश चल गए और आक्सीजन सिलेंडर लेकर ही वासप लौटे। उनकी मेहनत का नतीजा है कि कई कोरोना मरीजों की सांसे उनकी बदौलत चल रही हैं। मोहम्मद कामरान बाबर ओखला के शाहीन बाग में रहते हैं। वह अपने दोस्त फिरोज खान, डा. इम्तियाज नूरानी और अन्य के साथ मिलकर कोरोना संक्रमित मरीजों की मदद कर रहे हैं। सभी अपनी जेब से कुछ रकम निकालकर जरूरतमंद मरीजों के लिए आक्सीजन का इंतजाम कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि दिल्ली में आक्सीजन की स्थिति रेगिस्तान में पानी ढूंढने के जैसी हो गई है। लोग आक्सजीन की वजह से दम तोड़ रहे हैं। उन्होंने और उनके दोस्तों ने मिलकर दिल्ली-एनसीआर में आक्सीजन के सिलेंडर की तलाश की। एक दो दिन तो सिलेंडर मिल गए, फिर नहीं मिले। उन्हें किसी ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में आक्सीजन का प्लांट हैं, वह रोजे की हालत में आक्सीजन की तलाश करते हुए हिमाचल प्रदेश पहुंचे। यहां उन्हें आक्सीजन मिल गई, एक गाड़ी में 50 सिलेंडर लेकर शाहीन बाग पहुंचे।
यहां यमुनापार, ओखला, पुरानी दिल्ली सहित अन्य जगहों से पहुंचे मरीजों के तीमारदारों को छोटे सिलेंडर में गैर भरकर दी। उन्होंने बताया कि पांच सौ से अधिक लोगों को निश्शुल्क गैस भरकर दी जा चुकी है। फिरोज खा ने कहा कि लोगों को आक्सीजन पहुंचाने की यह खिदमत जारी रहेगी।